इस कोरोना से हर कोई परेशान है। क्या बड़े, क्या बूढ़े, क्या बच्चे और क्या जवान। मानो ऐसा लग रहा है कि हम आज़ाद हैं ही नहीं। हमें किसी ने गुलाम बना लिया है, गुलाम कोरोना ने बनाया है हम सभी को। कोरोना महामारी ने सबसे ज्यादा बच्चों के भविष्य को बर्बाद किया है।
लगातार दूसरे साल स्कूल से दूर रहने के कारण बच्चों का भविष्य पर असर पड़ रहा है। शिक्षाविद की माने तो आने वाले समय में बच्चों के साथ अभिभावकों को भी गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। जानकार बताते हैं कि अभी शिक्षण संस्थान खुलने में चार से पांच माह भी लग सकता है।
इसकी बड़ी वजह सरकार द्वारा तीसरी लहर की आशंका को व्यक्त करना है। ऐसे में सरकार भी स्कूल खोलने का तत्काल रिस्क नहीं ले सकता है। अब समस्या इस बात की है कि इस लॉकडाउन में बच्चों के भविष्य को कैसे संवारा जाए।
दूसरी ओर सरकार ने वर्ग एक से आठ तक के सभी बच्चों को प्रमोट कर दिया है, लेकिन अगली कक्षा की तैयारी बच्चे कैसे करेंगे। सरकार ने अभी तक न तो ध्यान दिया है और न ही इसके लिए कोई गाइडलाइन जारी किया है। इतना ही नहीं इस बार किताब के लिए सरकार ने राशि भी जारी नहीं की है। इस कारण छात्र किताब भी नहीं खरीद पा रहे हैं।
दहशत में हैं बच्चे व अभिभावक पिछले लॉकडाउन के बाद सरकार ने पूरे तामझाम के साथ नामांकन अभियान शुरू किया था। प्रवेशोत्सव नाम से शुरू अभियान का असर मधेपुरा में बेहतर रहा। पूरे बिहार में मधेपुरा में सबसे ज्यादा नामांकन हुआ।
वर्तमान समय में सरकारी आंकड़े के अनुसार 1543 स्कूलों में 4.10 लाख बच्चे वर्ग एक से लेकर आठ तक में नामांकित हैं। वहीं सीनियर कक्षा के लिए भी नामांकन का प्रतिशत का शानदार रहा, लेकिन मार्च के बाद फिर से शुरू हुए कोरोना महामारी ने सभी तैयारी पर पानी फेर दिया है।
शिक्षाविद पंकज कुमार बताते हैं कि इस बार के महामारी ने तो सरकार व आम लोगों को इतना डरा दिया है कि अब स्कूल खुलने के बाद भी अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से पहले कई दफा सोचेंगे। अब ऐसे में कोरोना की वजह से स्कूल और कॉलेज बंद हैं और पढ़ाई ऑनलाइन चल रही है। जिसकी शिकायत करते हुए एक 6 साल की मासूम बच्ची ने पीएम मोदी को अपना संदेश भेजा है।
ऑनलाइन क्लास से परेशान बच्ची ने पीएम मोदी से पूछा कि छोटे बच्चों को इतना काम क्यों देते हैं। अब आप ख़ुद अंदाज़ा लगाइए कि इस कोरोना की वजह से बच्चों के दिमाग पर भी किस तरह का असर पड़ रहा है।
जो बच्चे आज़ाद रहते थे, स्कूल की कूल पढ़ाई के बाद घर आकर होमवर्क कर अपने लिए समय निकालते थे, अब वो लगातार हर की ऑनलाइन क्लास पर फस जाते हैं और फिर उसके काम पर, कोई स्वतंत्रता बच्चों को महसूस भी नहीं होती और दिमाग पर जो गलत असर पड़ता है वो अलग ही है।