इस समय देश में महामारी को भुला दिया गया है और नए शब्द को काफी ऊपर चढ़ा दिया गया है। यह शब्द कोई मामूली नहीं बल्कि बहुत ही खतरनाक है। इस शब्द का नाम है ‘पेगासस’ इन दिनों सदन में पेगासस मुद्दे को लेकर विपक्ष केंद्र की मोदी सरकार पर लगातार हमलावर है। संसद सत्र शुरू होते ही पहले दिन विपक्ष ने इस मामले में सरकार को जमकर घेरा था। लोगों के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर पेगासस क्या है और यह किसी व्यक्ति के लिए कितना हानिकारक हो सकता है।
अभी तक बहुत से लोग इसके बारे में इंटरनेट पर खोजबीन कर चुके हैं लेकिन उन्हें सही से इसके बारे में जानकारी नहीं मिली है। हम आपको बता सकते हैं कि इससे बचने का क्या तरीका है। साथ ही हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि पेगासस आखिर कौनसी बला है।
पेगासस भारत में इन दिनों बहस और चर्चा का गरमागर्म विषय बना हुआ है। पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर है। यह इजरायली कंपनी एनएसओ द्वारा सुरक्षा के ख्याल से तैयार किया गया है। पेगासस एक बार लक्षित फोन या कंप्यूटर में इंस्टॉल होने के बाद डिलीट नहीं होता है। कोई भी री-सेटिंग या री-बूटिंग इस सॉफ्टेवयर को डिवाइस से मिटा नहीं सकती है।
कई आरोप इसको लेकर भारत सरकार पर विपक्ष लगा रहा है। विपक्ष लगातार हमलावर बना हुआ है। पेगासस स्पाईवेयर का यूज करके पत्रकार, एक्टिविस्ट के अलावा अन्य कई नेताओं पर नजर रखी जा रही है ऐसा आरोप है। इस वजह से कई लोग इसके के बारे में जानने को बड़े ही उत्सुक हैं। इस कंपनी के अनुसार यह सिर्फ सरकार के साथ ही डील करती है। मैक्सिको और पनामा की सरकारें इसका इस्तेमाल कर रही हैं। इसे आम लोग नही ख़रीद सकते।
भारत के इस आंतरिक मुद्दे को विदेशी मीडिया भी उछाल – उछाल कर दिखा रहा है। 40 देशो में इसके 60 ग्राहक है जो पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर रहें हैं। पेगासस स्पाइवेयर को एक लाइसेंस के रूप में दिया जाता है। एक लाइसेंस के लिए कम से कम 70 लाख रुपए तक खर्च करने पड़ सकते हैं। ये एक ऐसा प्रोग्राम है जिसे अगर किसी स्मार्टफ़ोन फ़ोन में डाल दिया जाए, तो कोई हैकर उस स्मार्टफोन के माइक्रोफ़ोन, कैमरा, ऑडियो और टेक्सट मेसेज, ईमेल और लोकेशन तक की जानकारी हासिल कर सकता है।