कैथल से एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है जहां सीआईए पुलिस ने कुख्यात अंतर राज्य गाड़ी चोर गिरोह के 7 सदस्य को गिरफ्तार किया है। गिरोह के कब्जे से हरियाणा सहित अन्य राज्यों से चुराई गई 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की अट्ठारह चोरीशुदा गाड़ियां बरामद हुई है।
इस घटना में अजीब बात यह है कि गिरोह के सभी चोर अच्छे घरों के पढ़े-लिखे युवा है, कोई एमबीए है तो कोई एमसीए किसी ने एमएससी की तो किसी ने बीसीए। गिरोह चोरीशुदा गाड़ियों पर स्क्रैप में खरीदी गाड़ियों के चेसिस नंबर लगाने के उपरांत उन्हें बेच देते हैं। गिरोह की चोरी करने की तकनीक सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे।
एसपी लोकेंद्र सिंह ने बताया कि हरिश कुमार निवासी कलायत की शिकायत पर थाना कलायत में दर्ज मामले अनुसार 14 जुलाई की रात उसकी स्वीफट गाड़ी चोरी हो गई। सीआईए-1 प्रभारी इंस्पेक्टर अमित कुमार की अगुवाई में हैडकांस्टेबल मनीष कुमार की टीम द्वारा शिव कालोनी करनाल से करीब 22 वर्षीय आरोपी शुभम निवासी शिव कालोनी करनाल को स्विफट गाड़ी सहित काबू किया।
शुभम ने कबुला की वे रिश्तेदारी में उसके चाचा लगने वाले गुरमीत निवासी बीर बडाला जिला करनाल व एक अन्य साथी चेतन निवासी शिव कालोनी करनाल के साथ मिलकर गाड़ियां चोरी करते हैं।
सीआईए पुलिस ने शुभम की सुचना पर करीब 28 वर्षीय आरोपी गुरमीत निवासी बीर बडाला जिला करनाल को जींद बाईपास खनौरी रोड कैथल से एक क्रेटा गाडी सहित गिरफ्तार किया। यह गाड़ी दिल्ली से चोरी की गई थी। दोनों आरोपियों ने कबूला की वे अपने तीसरे साथी चेतन के साथ फतेहाबाद, पेहवा, यमुनानगर, नीलोखेडी तथा हरियाणा व दिल्ली के विभिन्न इलाकों से गाड़ी चोरी करते हैं।
एसपी ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ थाना शहर में मामला दर्ज करके सीआईए-1 पुलिस के एसआई कश्मीर सिंह की टीम द्वारा तितरम मोड़ कैथल से नरेश कुमार, कुलदीप, विशाल, संदीप तथा परणीत को गिरफ्तार किया।
आरोपियों की निशानदेही पर उनके कब्जे से 16 अन्य चोरीशुदा गाड़ी बरामद की गई। इस तरह गिरोह के सभी आरोपियों के कब्जे से 1 करोड रुपये से ज्यादा मूल्य की कुल 18 गाड़ी बरामद की गई। इन गाड़ियों में 2 आल्टो के-10, 1 स्कोडा लोरा, 1 पोलो, 2 मारुती एरटिगा, 4 स्वीफट डीजायर, 5 स्वीफट, 1 होंडा अमेज, 1 डस्टर तथा एक क्रेटा गाड़ी शामिल हैं।
रात को तीनों गाड़ी लेकर निकल जाते हैं तथा एरिया में घुम फिरकर बाहर खडी हुई किसी गाड़ी की रैकी करते हैं। उनके पास गाड़ी की चाबी बनाने के लिये कोडिंग मशीन होती है।
दो लोग दूर से आने जाने वालों पर निगरानी रखते हैं तथा शुभम गाड़ी के पास पहुंचकर गाडी के बाई तरफ के शीशे की साईड में पेचकश डालकर शीशे को तोड़ देता है। शीशा तोड़कर गाड़ी का डैसबोर्ड खोलकर डैसबोर्ड से सैन्टर लाक की डिब्बी को हटा देता है। जिससे गाड़ी की खिड़की खोलते समय सायरन की आवाज नहीं आती।
फिर गाड़ी की खिड़की खोलकर स्टैरिंग के नीचे के प्लास्टिक कवर को खोल देता है। उनके पास एक हैवी मैगनेट होता है। फिर शुभम उस मैगनेट को स्टेरिंग के नीचे चिपका देता है। उस मैगनेट से स्टैरिंग का लोक फ्री हो जाता है। फिर स्टार्टिंग स्वीच को ईग्निशयन स्वीच से निकाल देता है।
फिर गुरमीत कोडिंग मशीन साथ लेकर गाड़ी में जाता है और शुभम तथा चेतन रैकी करते हैं। गुरमीत ईग्निशयन स्वीच में चाबी लगाकर कोडिंग मशीन के साथ चाबी की कोडिंग कर देता हैं । फिर स्टार्टिंग स्वीच में पेचकश लगाकर गाडी स्टार्ट हो जाती है।