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कहानी एक ऐसी महिला की जिसने टाटा कंपनी को डूबने से बचाने के लिए बेच डाला था अपना सबकुछ

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भारत में टाटा आज एक ऐसा नाम बन गया है जिसको सुनकर सभी भारतीय गर्व करते हैं। कई लोगों को टाटा आज रोजगार दे रहा है। जैसे सभी के ऊपर बुरा दौर आता है वैसे ही इस कंपनी पर भी एक समय बहुत बुरा दौर आया था। टाटा समूह के दूसरे अध्यक्ष सर दोराबजी टाटा की पत्नी मेहरबाई ने इस दौर से उसे बाहर निकाला था। वह समय से काफी आगे थी। उन्होंने न सिर्फ बाल विवाह के खिलाफ संघर्ष किया, बल्कि कई सामाजिक कार्य किए।

उनके बारे में शायद ही कभी आपने सुना होगा। उन्होंने अपने समय में काफी नेक काम किये हैं। 1920 में टिस्को डूबने के कगार पर था तो मेहरबाई ने अपना गहना बैंक में गिरवी रख धन जुटाया था।

कहानी एक ऐसी महिला की जिसने टाटा कंपनी को डूबने से बचाने के लिए बेच डाला था अपना सबकुछ

आज उन्हीं की बदौलत टाटा भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल है। उनका जन्म 1879 में हुआ था। खुले विचार की मेहरबाई बाद में चलकर महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई की अगुआ बनी। खेल के प्रति रुचि रखने वाली मेहरबाई बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी। वह कुशल पियानोवादक भी थी। मेहरबाई के बारे में कई ऐसी कहानियां है, जो आपके दिल को छू जाएगी।

कहानी एक ऐसी महिला की जिसने टाटा कंपनी को डूबने से बचाने के लिए बेच डाला था अपना सबकुछ

भारतीय नारी होने का उन्होंने हमेशा फर्ज अदा किया है। कई महिलाओं के लिए वह आज भी प्रेरणा बनी हुई हैं। उनके पास एक खूबसूरत हीरा हुआ करता था। 245 कैरेट का जुबिली हीरा प्रसिद्ध कोहिनूर से दोगुना बड़ा था और यह तोहफा उन्हें अपने पति सर दोराबजी टाटा से मिला था। विशेष प्लेटिनम चेन में लगी यह हीरा देख सभी चकित हो जाते थे। लेडी मेहरबाई टाटा इसे विशेष आयोजनों में पहना करती थी।

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मेहरबाई टाटा की बदौलत ही आज टाटा ग्रुप को पहचान मिली है। भारत का नाम विदेशों में भी टाटा ग्रुप ने चमकाया है। 1920 के दशक में, टाटा स्टील एक महान वित्तीय संकट से गुजरी और पतन के कगार पर थी। दोराबजी टाटा को कुछ सूझ नहीं रहा था। कंपनी को कैसे बचाया जाए, लेकिन कोई रास्ता दिख नहीं रहा था। तभी मेहरबाई ने जुबिली हीरा गिरवी रख धन इकट्ठा करने की सलाह दी। पहले तो दोराबजी ने इससे इंकार कर दिया, लेकिन बाद में अपनी पत्नी की सलाह माननी पड़ी।

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