आरोप प्रत्यारोप तो राजनीति और नेताओं के एक अभिन्न अंग के समान हैं, जिसके बिना राजनीति और सत्ता बिना रीढ़ की हड्डी समान लगने लगता है। बेरोजगारी भुखमरी या फिर कोई बड़ी बीमारी को लेकर नेताओं का एक दूसरे के सामने आना ना सिर्फ टेलीविजन में डिबेट के काम आता है, बल्कि यह आमजन के लिए भी किसी महाभारत देखने से कम साबित नहीं होता।
आए दिन पक्ष विपक्ष की नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर अपने फैसलों की सफाई देने में जुटे हुए दिखाई देते हैं खासकर जब बात हो हरियाणा की तो यहां राजनीति की बात ही निराली होती है। दरअसल, जहां अभी तक हरियाणा में बेरोजगारी के आंकड़ों पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के एक-दूसरे को घेरने के बाद अब कुमारी सैलजा व अनिल विज आपस में टकराए हैं।
हरियाणा कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा और गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के बीच प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को लेकर टकराव हुआ है। सैलजा ने आरोप लगाया कि हरियाणा में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बहुत खराब है और जनता भगवान भरोसे रह रही है।
विज ने सैलजा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि हम हर अस्पताल में आक्सीजन प्लांट लगा रहे हैं। सभी प्राइवेट अस्पतालों को भी हर हाल में आक्सीजन प्लांट लगाने के निर्देश दिए गए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने सोमवार को कहा कि हरियाणा में केवल दावों की सरकार है।
मूलभूत सुविधाओं का जिक्र आते ही वह मुंह फेर लेती है। लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है। कोरोना काल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल सबसे खराब और चिंताजनक है। जींद जिले का उदाहरण इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। सैलजा ने कहा कि मुआना स्वास्थ्य केंद्र पर गर्भवती महिला तीन घंटे बेंच पर तड़पती रही।
न डाक्टर मिला और न ही कोई नर्स आई। फोन करने के बावजूद एंबुलेंस समय पर नहीं आई। बेंच पर ही प्रसव हो गया और नवजात की मृत्यु हो गई। स्वास्थ्य केंद्र में केवल दो सफाईकर्मी थे। कुमारी सैलजा ने आरोप लगाया कि इस घटना ने बेहतर सेवाओं का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार की पोल खोल दी है।
ग्रामीण इलाकों में पांच हजार की आबादी पर एक उप स्वास्थ्य केंद्र, 30 हजार पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 80 हजार से 1.20 लाख की आबादी पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र होना चाहिए। राज्य में इन मानकों का पालन नहीं हो रहा। बड़ी संख्या में उपस्वास्थ्य, प्राथमिक और सामुदायिक केंद्रों की कमी है, जो स्वास्थ्य केंद्र चालू हैं, उनमें भी मेडिकल स्टाफ की भारी कमी है।
स्पेशलिस्ट डाक्टरों के 90 प्रतिशत पद खाली हैं। गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि जींद के मुआना में हुई लापरवाही की मैं निंदा करता हूं। ऐसा नहीं होना चाहिए था। लापरवाह डाक्टरों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी, लेकिन किसी एक घटना के संदर्भ को लेकर पूरी स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े करना उचित नहीं है।
यह हरियाणा सरकार के प्रयास, स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों व कर्मचारियों की मेहनत का ही नतीजा है कि कोरोना काल में लोगों को समुचित उपचार प्रदान किया गया। विज ने कहा कि कांग्रेसियों को हर बात में राजनीति करने की आदत हो गई है। वह अपनी आदत से बाज नहीं आते। अच्छे काम की तारीफ नहीं कर सकते तो कम से कम उसकी आलोचना भी न करें।
अनिल विज ने कहा कि संक्रमण की तीसरी लहर से निपटने के लिए प्रदेश सरकार पूरी तरह से तैयार है। राज्य के सभी अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं। 40 प्लांट की स्वीकृति केंद्र सरकार की ओर से दी गई है।
बाकी प्लांट के लिए बजट की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी। सभी निजी अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट लगाने अनिवार्य कर दिए गए हैं। राज्य में डाक्टरों की भर्ती के लिए सरकार ने स्पेशल ड्राइव चला रखी है। नए प्राइवेट अस्पतालों को मंजूरी तभी मिलेगी, जब उनमें आक्सीजन प्लांट लगे होंगे। विज ने बताया कि प्रदेश में रेमेडेसिविर इंजेक्शन और दवाइयां पर्याप्त मात्रा में हैं।