महामारी की वजह से दुनिया में कई बदलाव आए हैं। इन बदलावों में आज भी कई लोग ढल नहीं पा रहे हैं। महामारी की दूसरी लहर के घातक परिणाम हाल ही में देशवासियों ने भुगते हैं बावजूद इसके लोग अभी मास्क नहीं पहने रहे हैं। जबकि संक्रमण से बचने के लिए मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को सबसे बड़ा हथियार माना है, लेकिन देश की जनता लापरवाही करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही।
लोगों ने लापरवाही दिखाना शुरू कर दिया है। मास्क को पहनना बंद कर दिया है। हाल ही में संभावित तीसरी लहर के बीच उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भीड़ उमड़ी हुई दिखाई दी थीं। वायरस की दूसरी लहर ने जहां पूरे देश में इतनी भयंकर तबाही मचाई थी। वहीं सामने आई लोगों की पिकनिक मनाती तस्वीर यह दर्शाती है कि लोग अभी भी महामारी को लेकर सीरियस नहीं है।
महामारी से लड़ाई में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग काफी जरुरी हो गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी लोगों के मास्क नहीं पहनने के तीन बहाने के बारे में बताया, मंत्रालय ने इन बहानों के पीछे एक सर्वे का हवाला दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय की मानें तो महामारी के नियमों की लगातार अनदेखी की जा रही है। बार-बार लोगों से इन नियमों के पालन करने की अपील के बावजूद लोगों ना तो मास्क पहन रहे है और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग पर ध्यान दे रहे हैं।
मास्क पहनने से वायरस से बचा जा सकता है लेकिन कुछ लोगों को यह बात समझ नहीं आ रही है। एक सर्वे यह पता लगाने के लिए किया गया था कि कुछ लोग मास्क क्यों नहीं पहन रहे हैं। सर्वे में सामने आया कि आमतौर पर लोग तीन कारणों का इस्तेमाल मास्क पहनने से बचने के बहाने के तौर पर करते हैं। जैसे कि लोग सांस लेने में तकलीफ का बहाना बनाकर मास्क नहीं पहनते हैं। दूसरा मास्क नहीं पहनते के पीछे असहज लगने का कारण बताते हैं।
कई लापरवाह लोग हैं जो मास्क नहीं पहनना चाहते। ये लोग लापरवाही से अपनी जान के साथ-साथ आसपास के लोगों को भी खतरे में डाल देते हैं। तीसरा बहाना लोग मास्क इसलिए नहीं पहनते हैं क्योंकि उनका मानना है कि जब तक वे सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखते हैं, तब तक उन्हें उन्हें पहनने की जरूरत नहीं है।