Categories: Sports

पिता की मेहनत के साथ शुरू हुई रानी रामपाल के संघर्ष की कहानी, पिता चलाते थे तांगा, रानी को पिता पर गर्व

ओलंपिक में एक के बाद एक भारतीय खिलाड़ी इतिहास रचते जा रहे हैं। भारत के नाम कई मेडल आ चुके हैं। अब भारतीय महिला हॉकी टीम एक और मेडल लाने की तैयारी में है। भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए सोमवार का दिन काफी महत्वपूर्ण रहा। टीम टोक्यो ओलंपिक में क्वार्टर फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया को 1 – 0 से मात देकर सेमीफाइनल में पहुंच गई है।

ऐसा ओलंपिक इतिहास में पहली बार हुआ है जब भारतीय महिला हॉकी टीम में सेमीफाइनल में प्रवेश किया है। सेमीफाइनल में इस टीम का मुकाबला अर्जेंटीना से होगा। अमृतसर की गुरजीत कौर भले ही इस ऐतिहासिक जीत की सूत्रधार बनी हो, लेकिन टीम को सफलता तक पहुंचाने में टीम की कप्तान रानी रामपाल का अहम योगदान रहा है।

पिता की मेहनत के साथ शुरू हुई रानी रामपाल के संघर्ष की कहानी, पिता चलाते थे तांगा, रानी को पिता पर गर्व

भारतीय हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल ने जिंदगी की दुश्वारियों को हराकर अपने सफलता की बुलंदियों को छुआ है। हरियाणा में शाहाबाद कस्बे के माजरी मोहल्ले की बेटी रानी रामपाल की कहानी संघर्षपूर्ण रही है। रानी रामपाल के पिता तांगा चलाया करते थे। वे अक्सर महिला हॉकी टीम को आते – जाते देखा करते थे।

उन्हें देख उनके पिता के मन में भी बेटी हो हॉकी खिलाड़ी बनाने की आश जगी और उन्होंने अपनी 6 साल की बेटी को एसजीएनपी स्कूल के हॉकी मैदान में कोच बलदेव सिंह के हवाले कर दिया। जहां से रानी के हॉकी खिलाड़ी बनने की शुरुआत हुई।

रानी को कभी भी इस बात से जरा भी हिचक नहीं हुई कि उनके पिता तांगा चलाते हैं बल्कि उन्हें अपने पिता पर गर्व है। इसलिए उन्होंने अपने नाम के पीछे अपने पिता का नाम जोड़ा हुआ है। अर्जुन और भीम अवार्ड से सम्मानित रानी ने कहा की उनके घर में इतने पैसे भी नहीं होते थे कि उनके पिता उनके लिए हॉकी खरीद सके। रानी ने बताया की लेकिन पिता का सपने में उड़ान थी

, इसी सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने मुझे गांव की एकेडमी में डाला। रानी ने बताया की मेरा भाई कारपेंटर है, भाई व पिता की वजह से ही किसी तरह मेरी प्रैक्टिस जारी रही, जिसका नतीजा सामने है। उन्होंने बताया की एकेडमी को बलदेव सिंह चलाते थे जोकि द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित हैं। 30 जनवरी, 2020 को रानी ने वर्ल्ड गेम्स एथलीट ऑफ द ईयर भी जीता था। वर्ष 2020 रानी के लिए स्वर्णिम वर्ष रहा है।

अपनी हर उपलब्धि के लिए रानी रामपाल अपने कोच बलदेव सिंह का धन्यवाद देती हैं। उन्होंने बताया की जिस समय मेरे परिवार के पास पैसे थे, मेरे हाथ में हॉकी कोच ने ही थमाई थी। द्रोणाचार्य अवार्ड सम्मानित कोच बलदेव सिंह बताते हैं कि रानी को भी हमेशा जीत ही दिखाई देती थी। इस बात से उसे कभी कोई फर्क नहीं पड़ा कि उसके सामने कोनसी टीम है।

रानी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू करने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बनी, उस समय रानी की उम्र केवल 14 वर्ष थी। 15 वर्ष की उम्र में साल 2010 में वे महिला विश्व कप की सबसे छोटी खिलाड़ी बनी। क्वाड्रिनियल टूर्नामेंट में भी रानी ने सात गोल किए थे, तब उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ निर्णायक गोल किया था। जिसके आधार पर भारत ने हॉकी जूनियर विश्व कप में कांस्य पदक हासिल किया था। अपने प्रदर्शन की बदौलत रानी ने भारतीय रेलवे में क्लर्क की नौकरी भी हासिल की।

Avinash Kumar Singh

Recent Posts

IMT मेंं पांच दिन करेंगे सिहोर वाले प्रदीप मिश्रा भगवान शिव का गुणगान,सजा पंडाल

बल्लबगढ़ स्थित सेक्टर-66 आईएमटी फरीदाबाद में लगभग 80 एकड़ में होने वाली पांच दिवसीय शिव…

2 days ago

केंद्रीय विद्यालय संगठन ने आयोजित किया ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता

विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु दृढ़ संकल्प को मन,वचन व कर्म से निभाते हुए विभिन्न…

1 month ago

भाजपा को पूरी ताकत से लाओ, क्षेत्र की तस्वीर बदलने का काम मेरा : ओल्ड फरीदाबाद विधानसभा प्रत्याशी विपुल गोयल

भारतीय जनता पार्टी के फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी एवं पूर्व मंत्री विपुल गोयल ने…

2 months ago

काॅलोनियों के विकास की फाइल दबा कर बैठ गई भाजपा सरकार: NIT 86 कांग्रेस प्रत्याशी नीरज शर्मा

रविवार को एनआईटी से कांग्रेस प्रत्याशी नीरज शर्मा ने जवाहर काॅलोनी डबुआ काॅलोनी मेन रोड…

2 months ago

चुनाव में वोट काटने वालों से रहें सावधान: नीरज शर्मा

एनआईटी विधानसभा से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी नीरज शर्मा का गांव फतेपुर तगा पहुंचने…

2 months ago

अरुणाभा वेलफेयर सोसाइटी ने मनाया 78 वा स्वतंत्रता दिवस

स्वतंत्रता दिवस की 78 वीं वर्षगांठ पर "अरुणाभा वेलफेयर सोसाइटी" द्वारा आजादी के गर्व का…

3 months ago