चारों ओर से आ रही है चक दे! इंडिया की गूंज, जब बेटियों ने थामी हॉकी

0
365

टोक्यो ओलंपिक 2020 में महिला और पुरुष की हॉकी टीम ने सेमीफाइनल में अपनी जगह बना ली है। इसका सीधा असर यह हुआ कि पानीपत में हॉकी खिलाड़ियों को सलाम किया जा रहा है। चक दे! इंडिया की गूंज चारों ओर सुनाई दे रही है। पानीपत की दो निजी एकेडमी अपोलो और आर्य गर्ल्स स्कूल का खेल मैदान, दोनों ही जगहों पर लड़कियां हॉकी खेलती हैं। लेकिन सोमवार को वहां का नजारा बदला–बदला था।

सभी खिलाड़ियों के चेहरे से मुस्कान हटने का नाम नहीं ले रही थी। अभिभावकों ने भी उन्हें पूरे जोश के साथ मैदान पर भेजा। कुछ बेटियां साइकिल से तो कुछ दौड़ती–दौड़ती मैदान पर हॉकी स्टिक के साथ पहुंची।

चारों ओर से आ रही है चक दे! इंडिया की गूंज, जब बेटियों ने थामी हॉकी

बेटियों ने अब पहले से भी ज्यादा मेहनत करनी शुरू कर दी है। इसके लिए उन्होंने अभ्यास का समय एक घंटा और बढ़ा दिया है। अब आर्य कन्या स्कूल में सुबह छः से नौ बजे तक और शाम को 4:30 बजे से सात बजे तक प्रैक्टिस करती हैं। यहां दस किलोमीटर दूर से भी बेटियां अभ्यास के लिए आती हैं। सभी खिलाड़ी देश के लिए खेलना चाहती हैं। भारत का प्रतिनिधित्व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर करना चाहती हैं। यहां से अब तक दस से ज्यादा खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं।

चारों ओर से आ रही है चक दे! इंडिया की गूंज, जब बेटियों ने थामी हॉकी

क्रॉस मारने में हैं माहिर

20 वर्षीय प्रियांशी सेक्टर छः में रहती हैं। पिता रविन्द्र एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं और मां सुनीता गृहणी हैं। प्रियांशी को टोक्यो में पहुंची महिला और पुरुष की टीम पर पूरा विश्वास है कि वे गोल्ड मेडल जरूर लायेंगे। उसने 2017 में स्कूल नेशनल हाकी टूर्नामेंट, 2019 में जूनियर नेशनल व 2020 में सीनियर नेशनल खेला है। लेकिन मेडल हासिल नहीं कर पाई। इस बार कड़ी मेहनत की जा रही है। वह खेल के दौरान दाएं हाथ से क्रास मारने में माहिर हैं।

चारों ओर से आ रही है चक दे! इंडिया की गूंज, जब बेटियों ने थामी हॉकी

सीआरपीएफ व आईटीबी में हुआ चयन

18 वर्षीय मुस्कान अहलावत पानीपत शहर की रहने वाली हैं। पिता दिनेश अहलावत प्राइवेट नौकरी करते हैं। मां कृष्णा देवी गृहणी हैं। मुस्कान के दादा सुभाष चन्द्र वॉलीबॉल के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रह चुके हैं। मुस्कान ने बताया कि कोच धर्मेंद्र उनकी अच्छी तैयारी करवा रहे हैं।

चारों ओर से आ रही है चक दे! इंडिया की गूंज, जब बेटियों ने थामी हॉकी

सीआरपीएफ व आईटीबी ने उसका चयन किया है। अब उसकी ट्रायल प्रक्रिया शुरू होगी। इसमें पास होने के बाद उसके पास दो सरकारी नौकरियों के भी विकल्प मिल जायेंगे। मुस्कान ने बताया कि वर्ष 2017 में उसने स्कूल नेशनल खेला जिसमें गोल्ड मेडल हासिल किया, 2018 में सब जूनियर नेशनल, 2019 व 2020 में स्कूली नेशनल खेला था।

सेंटर प्वाइंट पर खेलने में माहिर

15 वर्षीय खुशी पंवार चंदौली गांव की निवासी है। पिता जसबीर सिंह गांव के निवर्तमान सरपंच हैं। पिछले तीन सालों में उसने दो मेडल हासिल किए हैं। आगे बताती हैं कि वह सेंटर प्वाइंट पर खेलने में माहिर हैं। अगला लक्ष्य इंडिया कैंप के लिए खेलना है। वर्ष 2015 में स्कूली नेशनल में सिल्वर मेडल, 2017 में सब जूनियर नेशनल ब्रॉन्ज मेडल, 2020 में जूनियर नेशनल में भाग लिया है।

चारों ओर से आ रही है चक दे! इंडिया की गूंज, जब बेटियों ने थामी हॉकी

स्पोर्ट्स ऑफ इंडिया में हुआ चयन

17 वर्षीय प्रियंका डोगरा पानीपत शहर के आठ मरला की रहने वाली हैं। पिता चरणदास एक किसान हैं और मां गीता देवी गृहणी हैं। प्रियंका ने अब तक दो जूनियर, दो सब–जूनियर नेशनल व एक स्कूली नेशनल गेम्स में भाग लिया है। प्रियंका का चयन स्पोर्ट्स ऑफ इंडिया पटियाला की एकेडमी में हो चुका है। लेकिन महामारी की वजह से वह अभी पानीपत में ही ट्रेनिंग कर रही हैं। प्रियंका ने बताया कि वर्ष 2017–18 में सब जूनियर नेशनल, 2019 व 2021 में जूनियर नेशनल और 2020 में स्कूली नेशनल खेल चुकी हैं। अब अगला लक्ष्य देश के लिए खेलना है।

चारों ओर से आ रही है चक दे! इंडिया की गूंज, जब बेटियों ने थामी हॉकी

10 किमी दूर से आती हैं प्रैक्टिस के लिए

19 वर्षीय कृति सिवाह गांव की रहने वाली है। पिता राजेश कादियान किसान और मां कविता गृहणी हैं। कृति रोजाना सुबह–शाम 10 किलोमीटर का सफर तय करके मैदान में प्रैक्टिस के लिए आती हैं। महामारी की वजह से काफी दिन तक प्रैक्टिस नहीं हो पाई इसलिए अब वह कड़ी मेहनत कर रही हैं। 2020 में स्कूली नेशनल और 2021 में जूनियर नेशनल खेल पाई। अब आगे भारत के लिए खेलना लक्ष्य है। इसके लिए वह अपने कोच से टिप्स भी ले रही हैं।

चारों ओर से आ रही है चक दे! इंडिया की गूंज, जब बेटियों ने थामी हॉकी

कोच धर्मेंद्र ने बताया कि सभी खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के लिए तैयार किया जा रहा है। दस से ज्यादा खिलाड़ी नेशनल खेल चुके हैं। हॉकी की टीम जरूर जीतेगी और इस जीत के साथ खिलाड़ियों को क्रिकेट के खिलाड़ियों की तरह सम्मान मिलने की आस है।