हरियाणा के इन दो खिलाड़ियों ने पक्का किया ओलंपिक्स 2020 का मेडल

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भारत : हरियाणा प्रदेश भारत का वो प्रदेश है जो खिलाड़ियों के लिए जाना जाता है और सबसे ज्यादा खिलाड़ी इसी राज्य से निकलते हैं । इन दिनों जापान की राजधानी टोक्यो में हो रहे ओलंपिक 2020 में हरियाणा के इन दो नौजवानों ने पूरे देश का नाम रोशन किया है और ओलंपिक में अपना मेडल पक्का कर लिया है ।

इन दोनों खिलाड़ियों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहें है कैसे इन्होंने अपना जीवन खेल को दिया और आज खेल जगत में अपनी एक अलग पहचान बना ली है।

हरियाणा के इन दो खिलाड़ियों ने पक्का किया ओलंपिक्स 2020 का मेडल

जिला सोनीपत के निवासी रवि कुमार दहिया टोक्यो ओलंपिक में बुधवार को हरियाणा का दमखम दिखा। सोनीपत के प्रतिभाशाली दमदार पहलवान रवि दहिया ने 57 किग्रा भार वर्ग में शानदार प्रदर्शन करते हुए प्री क्वार्टर फाइनल में कोलंबिया के पहलवान ऑस्कर टिगरेरोस उरबानो को 13-2 से हराकर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया है।

दोनों पहलवानों के बीच पहले ही मिनट से कड़ी टक्कर देखने को मिली। इस दौरान दहिया ने दो अंक हासिल किए। लेकिन उरबानो ने रिवर्स टेकडाउन में स्कोर बराबर कर लिया। इसके बाद रवि ने जोरदार वापसी की और कुल 10 अंक बटोरकर मुकाबला अपने नाम कर लिया।

हरियाणा के इन दो खिलाड़ियों ने पक्का किया ओलंपिक्स 2020 का मेडल

इसके साथ ही भारत का एक और पदक पक्का हो गया है। रवि के पिता राकेश कुमार आर्थिक स्थिति मजबूत न होने के कारण कुश्ती में आगे नहीं बढ़ सके थे, लेकिन अपने बेटे को वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए स्वर्णिम प्रदर्शन करते देखना चाहते हैं। बुधवार को रवि ने पिता के सपने को पूरा कर दिखाया। राकेश खुद भी कुश्ती करते थे और आगे बढ़ना चाहते थे लेकिन गुजर-बसर के लिए खेती में जुट गए।

भारतीय पहलवान दीपक पूनिया ने टोक्यो ओलंपिक के पुरुष फ्रीस्टाइल कुश्ती 86 किग्रा वर्ग के पहले दौर में नाइजीरिया के रेसलर एकरेकेम एगियोमोर को 12-1 से हराकर क्वार्टर फाइनल में धमाकेदार एंट्री कर ली है. इस तरह कुश्ती में रवि कुमार के बाद दीपक पूनिया ने भी मेडल की उम्मीदें जगा दी हैं।

हरियाणा के इन दो खिलाड़ियों ने पक्का किया ओलंपिक्स 2020 का मेडल

बहादुरगढ़ के झज्झर के रहने वाले दीपक के पिता सुभाष को अपने बेटे पर गर्व है। वह भावुक होते हुए कहते हैं कि कभी उन्होंने पहलवान बनने का सपना देखा था, लेकिन घर के हालात ऐसे नहीं थे कि पहलवानी कर पाता। जब घर में खाने के लाले होंगे तो पहलवानी कहां से होती। यही कारण था कि उन्होंने दो बेटियों के बाद जन्में दीपक को छोटी उम्र में ही अखाड़े के राह दिखा दी।