देश के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो के फाइनल में अपनी जगह बना ली है। फाइनल में पहुंचने के लिए क्वालीफाइंग राउंड में 83.5 मीटर का टारगेट था, लेकिन नीरज चोपड़ा ने 86.65 मीटर का थ्रो फेंक कर फाइनल में धमाकेदार एंट्री की। नीरज ने 88.07 मीटर का रिकॉर्ड बनाया था।
क्वालीफाइंग राउंड के ग्रुप–ए में नीरज शर्मा टॉप पर रहे। 7 अगस्त को इसका फाइनल मुकाबला होगा।
किसान परिवार से हैं नीरज
नीरज चोपड़ा प्रदेश के पानीपत जिले के मतलौडा ब्लॉक के गांव खंडरा के निवासी हैं। पिता सतीश चोपड़ा किसान हैं और मां सरोज देवी गृहणी हैं। इनकी दो छोटी बहनें संगीता और सरिता हैं। वहीं दादा धर्म सिंह और चाचा भीम चोपड़ा हैं। नीरज को जैवलिन थ्रो में आगे बढ़ने के लिए उनके चाचा ने प्रेरित किया। यह उन्हीं के प्रोत्साहन और समर्थन का परिणाम है कि आज नीरज देश का स्टार एथलीट है।
सवेरे 5 बजे परिवार ने की पूजा
नीरज के चाचा भीम चोपड़ा ने बताया कि सवेरे साढ़े 5 बजे नीरज का मुकाबला था तो परिवार उससे पहले जाकर मंदिर में पूजा कर आया था। उसके बाद भी मां घर में नाम जपती रहीं। इसके बाद सभी ने बैठकर मुकाबला देखा।
मैनेजर के फोन से हुई थी बात
चाचा ने बताया कि ओलिंपिक में पदक जीतने के लिए नीरज ने कड़ी मेहनत की है। एक साल से उसका फोन भी बंद है। एक सप्ताह पहले मैनेजर के फोन से उनकी वीडियो कॉल से नीरज से बात हुई थी। उसके बाद बात ही नहीं हुई।
पोते से मेडल की है आस
नीरज के दादा धर्म सिंह पोते का खेल देखकर बेहद खुश हैं। उन्होंने भी परिवार के साथ बैठकर मुकाबला देखा। वे कहते हैं कि उनका पोता बहुत मेहनती है। वह ओलिंपिक खेलने गया है और पदक लेकर लौटेगा, फिर वे उसे गोद में उठाएंगे।
भाई-बहनों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं
चाचा ने बताया कि नीरज के 10 भाई-बहन हैं। दो अपनी सगी बहनें हैं और बाकी चचेरे और ममेरे। नीरज सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं। क्योंकि उसको देखकर अब सभी रोज मिलकर स्टेडियम जाते हैं और रुचि के अनुसार खेलों का अभ्यास करते हैं।