आज पूरे देश की निगाहें टोक्यो ओलंपिक पर टिकी हुई हैं। क्योंकि ओलंपिक में हमारे देश के कई युवा खिलाड़ी खेलों में नाम रोशन कर रहे हैं। चाहे नीरज चोपड़ा हों, मीराबाई चानू हो या महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी। इन खेलों में भाग लेने से पहले तो सरकार मेडल लाने वाले खिलाड़ियों की खूब परख करती है, लेकिन बाद में लोग इन्हें भूल जाते हैं।
आर्थिक संकट के कारण कई खिलाड़ियों को अपना खेल भी छोड़ना पड़ता है और उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
ऐसी ही एक कहानी चंडीगढ़ के बॉक्सर की है। जो कभी राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रह चुकी हैं, लेकिन आज उनके आर्थिक हालात इतने खराब हैं कि उनके कंधों पर घर संभालने की नौबत आ गई, इसलिए मजबूरन वह एक पार्किंग स्लॉट में काम कर रही है।
रितु अपने परिवार समेत धनास के एक छोटे से फ्लैट में रहती है। रितु के पिता बीमार चल रहे हैं और इन पर महीने की दवाई का खर्चा करीब 10000 रुपए तक आता है। घर में कमाने वाले केवल पिता थे, जब वह बीमार पड़ गए तो घर का खर्चा चलाना बहुत मुश्किल हो गया। ऐसे में रितु ने भी अपनी पढ़ाई छोड़ कर काम करने की ठानी।
पार्किंग की पर्चियां काटती हैं बॉक्सर रितु
इन दिनों सेक्टर–22 की पार्किंग स्लॉट में रितु पर्चियां काट रहीं हैं। रितु बॉक्सिंग में राष्ट्रीय स्तर की चैंपियन रह चुकी हैं और जब तक उन्होंने बॉक्सिंग खेली तब तक उन्होंने खूब मेडल भी जीते। रितु 12वीं पास है, लेकिन अचानक पिता की तबीयत खराब होने से घर की आर्थिक हालत देख वह पढ़ाई जारी नहीं रख पाई। रितु के साथ–साथ उनके बड़े भाई रंजीत ने भी घर के हालात को देखते हुए पढ़ाई बीच में छोड़ दी।
पढ़ाई और बॉक्सिंग दोनों को रखना चाहती हैं जारी
रितु ने बातचीत में बताया कि घर के हालात इतने खराब थे कि ऐसे में खर्चा चलाने के लिए उन्हें अब पार्किंग स्लॉट पर काम करना पड़ रहा है। वह चाहती हैं कि अपनी पढ़ाई जारी रखने के साथ–साथ अपने पैशन बॉक्सिंग को भी जारी रखें।
आर्मी में जाना है सपना
उनका सपना है कि वह आर्मी में जाए और इसके लिए वह लगातार आर्मी की परीक्षाएं भी दे रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर उनको बॉक्सिंग में देश का नाम रोशन करने का मौका मिलेगा तो यह उनके लिए गर्व की बात होगी।
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