कई ऐसी बातें होती हैं जो हमें सोचने को मजबूर कर देती हैं। उन बातों पर हमारा यकीन कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है। किन्नर के बारे में आपने सुना होगा कि यह न तो पूरी तरह पुरुष होते है और न स्त्री इसलिए यह अविवाहित रहते हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि किन्नर भी शादी करते हैं और ताज्जुब की बात तो यह है कि यह शादी सिर्फ एक रात के लिए होती है और वह भी इनके अपने भगवान से।
कई लोगों को यह जानकारी नहीं होती है। हमारे देश में कई परम्परा चली आ रही है यह भी उन्हीं में एक है। किन्नर के भगवान कौन हैं और किनसे यह विवाह करते हैं अगर आप यह जानना चाहते हैं तो हम आपको बता दें कि यह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं हैं। यह हैं अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान इरावन जिन्हें अरावन के नाम से भी जाना जाता है।
कोई भी परम्परा है जिसका हम पालन करते है उसका कोई न कोई मतलब अवश्य होता है। ऐसे ही किन्नर समाज में भी इसका काफी महत्व है। किन्नर की शादी का जश्न देखना है तो आपको तमिलनाडु के कूवगाम जाना होगा। यहां हर साल तमिल नव वर्ष की पहली पूर्णिमा से किन्नरों के विवाह का उत्सव शुरु होता है जो 18 दिनों तक चलता है। 17 वें दिन किन्नरों की शादी होती है। सोलह श्रृंगार किए हुए किन्नरों को पुरोहित मंगलसूत्र पहनाते हैं और इनका विवाह हो जाता है।
हमारी धरती पर स्त्री और पुरूष से हटकर भी एक प्रजाति है जिसे किन्नर कहते है। विवाह के अगले दिन इरवन देवता की मूर्ति को शहर में घुमाया जाता है और इसके बाद उसे तोड़ दिया जाता है। इसके साथ ही किन्नर अपना श्रृंगार उतारकर एक विधवा की तरह विलाप करने लगती है। कथा है कि महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने मां काली की पूजा की। इस पूजा में एक राजकुमार की बलि होनी थी। कोई भी राजकुमार जब आगे नहीं आया तो इरावन ने कहा कि वह बलि के लिए तैयार है। लेकिन इसने एक शर्त रख दी कि वह बिना शादी किए बलि नहीं चढ़ेगा।
किन्नरों को हम सभी से अलग और विशेष मानते हैं। ऐसा हमें मानना भी चाहिए। कहानी के अनुसार उस समय पांडवों के पास समस्या यह आ गई कि एक दिन के लिए कौन सी राजकुमारी इरावन से विवाह करेगी और अगले दिन विधवा हो जाएगी। इस समस्या का समाधान श्री कृष्ण ने निकाला। श्री कृष्ण स्वयं मोहिनी रूप धारण करके आ गए और इन्होंनें इरावन से विवाह किया।