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आपकी 30 पीढ़ी गुजर जाएंगी लेकिन ये पौधा नहीं सूखेगा, इसकी खासियत जानकार खिसक जाएगी पैरों तले जमीन

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दुनिया में ऐसी कई चीजें हैं जो हमें अचंभित करती हैं। हमें उनपर यकीन नहीं होता लेकिन करना पड़ता है। ऐसे ही रेगिस्तानी पौधे वेलविचिया को करीब 3-3 हजार वर्ष जीने की क्षमता सख्त मौसम की वजह से जीन में आए बदलाव से मिली। यह दावा वैज्ञानिकों ने किया है। इनके अनुसार करीब 20 लाख वर्ष पूर्व इस पौधे की कोशिका विभाजन प्रक्रिया के दौरान सूखे वातावरण और लंबे समय तक चले अकाल ने जीन में लगभग अमरता लाने वाले बदलाव किए।

आपने कई पौधों के बारे में सुना होगा। उनके बारे में पढ़ा भी होगा लेकिन यह पौधा सबसे ख़ास है। धरती पर सबसे लंबी उम्र जीने वाले पौधे के रूप में विख्यात वेलविचिया आमतौर पर दक्षिणी अंगोला और उत्तरी नामीबिया में पाया जाता है। यह सूखा व कठोर रेगिस्तानी क्षेत्र है।

आपकी 30 पीढ़ी गुजर जाएंगी लेकिन ये पौधा नहीं सूखेगा, इसकी खासियत जानकार खिसक जाएगी पैरों तले जमीन

नई खोज के लिए दिन-रात मेहनत करने वाले वैज्ञानिकों को यह अद्भुत सफलता हाथ लगी है। वैज्ञानिकों के अनुसार आज भी 3,000 वर्ष से अधिक पुराने वेलविचिया पौधे यहां मौजूद हैं। अध्ययन में शामिल लंदन के क्वीन मैरी विश्वविद्यालय के पादप जीन विज्ञानी एंड्रयू लीच के अनुसार यह पौधा लगातार बढ़ता रहता है, यही इसके जीवन का उसूल है। 1859 में पादप विज्ञानी फ्रेडरिक वेलविच का ध्यान इसके अध्ययन की ओर आकर्षित हुआ था। फ्रेडरिक वेलविच से ही इसे अपना वैश्विक नाम मिला।

आपकी 30 पीढ़ी गुजर जाएंगी लेकिन ये पौधा नहीं सूखेगा, इसकी खासियत जानकार खिसक जाएगी पैरों तले जमीन

कई पीढ़ियां गुजर जाएंगी लेकिन यह पौधा नहीं जाएगा कहीं। जी हाँ, दरअसल इस अध्ययन को करने वाले एंड्रयू लीच और चीन के पादप विज्ञानी ताओ वान के अनुसार करीब 8.6 करोड़ वर्ष पूर्व वेलविचिया की कोशिका विभाजन प्रक्रिया में आई एक गड़बड़ी से इसकी शुरुआत हुई जिसमें इसके जीनोम दोगुने होने लगे। यह पौधा अत्यधिक विकट हालात में रह रहा था जहां जिनोम दोगुना करने का अर्थ ज्यादा अनुवांशिक तत्वों की जरूरत थी।

आपकी 30 पीढ़ी गुजर जाएंगी लेकिन ये पौधा नहीं सूखेगा, इसकी खासियत जानकार खिसक जाएगी पैरों तले जमीन

धरती पर मौजूद प्रत्येक सजीव वस्तु की उम्र की एक सीमा होती है। इसकी उम्र सुनकर सभी हैरान हैं। यह एक अनूठा पौधा है, जिसमें केवल दो ही पत्तियां आती हैं। यही सैकड़ों-हजारों वर्षों तक उसे जीवित रखती हैं। अफ्रकी इसे ट्वीब्लारकानीडूड यानी दो पत्तियां जो कभी नहीं मरती नाम से बुलाते है। वैज्ञानिकों के अनुसार पत्तियां इसके तने का भी काम करती हैं। इनमें ताजा कोशिकाओं का निर्माण होता है।

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