वैक्सीन आने से पहले महामारी से बचाव के लिए लोग तरह तरह की दवाइयों और घरेलू नुस्खों का प्रयोग कर रहे थे और अब भी अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए वे इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। पतंजलि की कोरोनिल किट ऐसी ही एक बहुचर्चित दवाई है। आरटीआई का दावा है कि इस किट से ठीक होने वालों का कोई अता पता नहीं है। हरियाणा सरकार के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है।
आरटीआई में खुलासा हुआ कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान हरियाणा सरकार ने योग गुरु बाबा रामदेव की बहुचर्चित कोरोनिल किट का प्रयोग महामारी से संक्रमित मरीजों को ठीक करने के लिए किया। लेकिन प्रदेश सरकार के पास उपचार में प्रभावी होने का कोई रिकॉर्ड सामने नहीं आया है।
हालांकि, महामारी को हराने के लिए हरियाणा सरकार ने एक लाख कोरोनिल किट खरीदी थी। महामारी रिलीफ फंड से 2.72 करोड़ रुपए इन किट्स की खरीद पर खर्च किए।
आयुष विभाग निदेशालय में पानीपत के आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने गत 28 मई को आरटीआई दायर की थी। विभाग के जन सूचना अधिकारी एवं अधीक्षक ने तीन अगस्त के अपने पत्र में राष्ट्रीय आयुष मिशन के राज्य प्रभारी डॉ. गुलाम नासिर के हवाले से सूचनाएं दी हैं।
इसमें बताया गया कि महामारी से संक्रमित मरीजों के इलाज में कोरोनिल किट के उपयोगी होने के बारे कोई टेस्ट व जांच रिपोर्ट आयुष विभाग के पास नहीं है। कोरोनिल किट्स के उपयोग से महामारी से ठीक हुए मरीजों की सूची व संख्या का भी कोई रिकॉर्ड नहीं है। सरकार ने महामारी रिलीफ फंड से 2,72,50,000 रुपये में एक लाख किट्स खरीदी थी।
मार्केट में 545 रुपये में प्रति किट पर बिकने वाली कंपनी ने सरकार को 50 फीसदी छूट भी दी। खरीद के लिए गठित विभागीय तकनीकी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कोरोनिल किट में गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी और अन्य बूटियां इम्युनिटी बढ़ाने वाले तत्व मौजूद हैं जो कि महामारी से संक्रमित मरीजों के लिए उपयोगी हो सकता हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने कहा कि जब सरकार के पास कोरोनिल किट के संक्रमित मरीजों पर प्रभावी होने की कोई रिपोर्ट ही नहीं है तो क्यों मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है।