HomePublic Issueगोल्ड मेडल लाकर देश को चमकाने वाले नीरज चोपड़ा का गांव सुविधाओ...

गोल्ड मेडल लाकर देश को चमकाने वाले नीरज चोपड़ा का गांव सुविधाओ के मामले में ही खंडहर

Published on

पूरे विश्व में भारत का नाम रोशन करने वाले और टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल पर अपना नाम दर्ज कराने वाले नीरज चोपड़ा ने ना सिर्फ ओलंपिक में इंडिया का दिल जीत लिया बल्कि एक अलग इतिहास रचने के सपने को साकार कर दिखाया हैं। वहीं जहां पूरा देश इस जीत से सोने की तरह चमक रहा हैं, वहीं दूसरी तरफ एक हीरे को तोहफे के रूप में देश को सौंपने वाले नीरज चोपड़ा का गांव आज खुद सुविधायों के अभाव में तप रहा हैं।

वैसे तो, खिलाड़ी नीरज चोपड़ा के गांव के युवाओं में भी जोश है कि वह भी अपने देश के लिए सोना जीतकर लाएं लेकिन गांव में स्टेडियम न होने की समस्या खंडरा के युवाओं का सपना तोड़ रहीं हैं। गांव में स्टेडियम न होने की वजह से केवल 25 खिलाड़ी ही बचे हैं, जबकि पहले इनकी संख्या 50 थी।

गोल्ड मेडल लाकर देश को चमकाने वाले नीरज चोपड़ा का गांव सुविधाओ के मामले में ही खंडहर

इन सब के पीछे का कारण यह है कि सुविधाओं के आभाव में इनका खेल प्रभावित हो रहा है। गांव के खिलाड़ियों ने बताया कि जब नीरज चोपड़ा के राष्ट्रमंडल खेलों में जैवलिन थ्रो में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता था तो सरकार ने स्टेडियम बनाने का एलान किया था। मगर आलम यह था कि तीन साल बाद भी स्टेडियम नहीं बन सका।

गोल्ड मेडल लाकर देश को चमकाने वाले नीरज चोपड़ा का गांव सुविधाओ के मामले में ही खंडहर

उन्होंने बताया कि अगर कोई बच्चा खेल की शुरुआत करना चाहता है तो वह भी एक दो दिन स्कूल में अभ्यास करके ही अपने घर चला जाता है। पूरे गांव के खिलाड़ी 500 मीटर दूर एक निजी स्कूल में तैयारी करते हैं, जहां जैवलिन थ्रो के कोच हैं। स्कूल में उपकरण और अलग-अलग मैदान न होने के कारण धीरे धीरे रुचि कम हो रही है और बच्चे अपने घर पर ही अन्य काम में लग जाते है। इस स्कूल में नीरज चोपड़ा का दोस्त हरेंद्र उर्फ मोंटू ही गांव के खिलाड़ियों को भाला फेंकना सिखा रहा हैं।

गोल्ड मेडल लाकर देश को चमकाने वाले नीरज चोपड़ा का गांव सुविधाओ के मामले में ही खंडहर
फ़ोटो अमर उजाला से ली गई है

2021 में भी गांव खंडरा के 2011 वाले ही हालात है। जहां 10 साल बाद भी गांव में अभी तक स्टेडियम नहीं है। जब नीरज चोपड़ा ने 2011 में फेंकने की शुरुआत की थी तब भी गांव में स्टेडियम नहीं था। जिसकी वजह से लोगों से लिफ्ट लेकर असंध रोड तक आना पड़ता था, जिसके बाद वह पैदल ही स्टेडियम तक जाते थे। उस गांव में आज भी यदि किसी बच्चे को खेल का अभ्यास करना है तो पानीपत के शिवा स्टेडियम आना पड़ता है।

गोल्ड मेडल लाकर देश को चमकाने वाले नीरज चोपड़ा का गांव सुविधाओ के मामले में ही खंडहर

स्टेडियम के लिए दी गई जमीन पर स्टेडियम का नाम निशान भी नहीं है। स्टेडियम की पांच किले की जमीन पर घुटनों तक घास हैं और बरसात होने के कारण दलदल है। सरकार के एलान के बाद और जमीन तय करने के बाद गांव के खिलाड़ियों ने खुद ही ईंट लगाकर स्टेडियम में अलग-अलग ग्राउंट बनाए थे लेकिन जमीन पर विवाद होने के कारण अब खिलाड़ियों ने यहां खेलना छोड़ दिया है।खिलाड़ियों का कहना है कि पहले इस स्टेडियम में 50 से ज्यादा खिलाड़ी रोज खेलने आते थे।

Latest articles

Faridabad के प्रॉपर्टी डीलर के साथ अपने ही घर में हुआ कुछ ऐसा कि, सुनकर कांप जाएगी आपकी रूह

इन दिनों शहर का क्राइम रेट बढ़ता जा रहा है, अपराधी अपराध करने के...

हरियाणा का दूल्हा बड़े ही फिल्मी स्टाइल में लेने पहुंचा अपनी दुल्हन, पड़ोसी देख कर हो गए दंग

वेडिंग सीजन शुरू हो चुका है, ऐसे में दूल्हे घोड़े पर सवार होकर अपनी...

Haryana की 106 साल की रामबाई करेंगी ये काम, जानकर आप भी हो जाएंगी दंग

इंसान 50 की उम्र तक आते आते कमजोर होने लगता है, धीरे धीरे उसके...

More like this

Faridabad के प्रॉपर्टी डीलर के साथ अपने ही घर में हुआ कुछ ऐसा कि, सुनकर कांप जाएगी आपकी रूह

इन दिनों शहर का क्राइम रेट बढ़ता जा रहा है, अपराधी अपराध करने के...

हरियाणा का दूल्हा बड़े ही फिल्मी स्टाइल में लेने पहुंचा अपनी दुल्हन, पड़ोसी देख कर हो गए दंग

वेडिंग सीजन शुरू हो चुका है, ऐसे में दूल्हे घोड़े पर सवार होकर अपनी...