अगर कुछ दिखाने की ज़िद्द हो तो, बहाने नहीं बस रिकॉर्ड बनते हैं। आइडिया आपको कहीं से भी मिल सकता है। बस आपको उस आइडिया पर काम करने की ज़रूरत होती है। आपने सुना होगा कि मियाजाकी को दुनिया का सबसे महंगा आम कहा जा रहा है। राजस्थान के एक किसान ने इसे उगने में सफलता पायी है। कोटा से लगभग 15 किमी दूर स्थित गिरधापुरा में रहनेवाले किसान, श्री किशन सुमन ‘मियाज़ाकी आम’को उगाने की कोशिश कर रहे थे उन्हें सफलता मिली है और उनके बगान में मियाज़ाकी आम के तीन पौधे हैं, जिसने इस बार फल दिया है।
कुछ नया सीखने की बैचेनी चैन से नहीं बैठने देती है। दिल में जो काम करने का ठाना जब तक वो नहीं होता नींद भी गायब हो जाती है। इस किसान के साथ ऐसा ही हुआ है। मियाज़ाकी, आम की एक विशेष किस्म है, जिसे दुनिया के सबसे महंगे आम के रूप में जाना जाता है। यह 2.7 लाख रुपये प्रति किलो तक बिकते हैं। कोंकण की अल्फांसो आम दुनियाभर में प्रसिद्ध है। जबकि मध्यप्रदेश का 3.5 किलों वाला नूरजहां हाल ही में लोकप्रिय हुआ है।
आज इस किसान ने अपनी कड़ी मेहनत से बहुत कुछ हासिल कर लिया है। किसान श्री किशन दो एकड़ जमीन के मालिक हैं। वह बताते हैं कि मियाज़ाकी आम का छिल्का लाल होता है और इसके गूदे का रंग चमकीला नारंगी रंग का होता है। जो कुछ हद तक जेली की तरह होता है। यह आम काफी मीठे होते हैं और अन्य किस्मों के आकार के ही होते हैं। यह आम बहुत दुर्लभ है इसलिए यह बहुत महंगा है।
मेहनत का फल मिलता ज़रूर है। आप तत्परता से अगर काम करते हैं तो कोई भी आपकी मेहनत का फल आपसे नहीं ले सकता है। इस किसान को भी मेहनत का फल मिल गया है। यह आम अमेरिका के फ्लोरिडा में उगाए जाने वाले इरविन आम से आता है। इसे जापान के क्यूशू आईलैंड पर उगाया जाता है। 80 के दशक में इसे फ्लोरिडा से जापान लाया गया था। अगर आम के अनुकूल मौसम में इसे उगाया जाता है तो दूसरे आम की तुलना में इसमें 15 फीसदी अधिक शुगर होता है। वजन लगभग 350 ग्राम हो सकता है और यह एक अलग लाल रंग का हो जाता है।
उनके गांव के आस – पास के लोग भी उनसे प्रेरित हो रहे हैं। उन्हें मियाजाकी आम के बारे में यूट्यूब से जानकारी मिली और इससे वह काफी प्रभावित हुए। भारत में इसे उगाया जा सकता है या नहीं और इसकी कमर्शियल वैल्यू की जानकारी हासिल करने के लिए उन्होंने अपने दोस्तों से बात की। इसके बाद उन्होंने विदेशी फलों से पैसा कमाने के बारे में सोचा। फिर उनके दोस्त ने उन्हें साल 2018 में तीन पौधे दिये जो उनके दोस्त ने थाईलैंड से मंगवाये थे।