क्या अधूरा रह जाएगा मीराबाई चानू का गोल्ड जीतने का सपना, अगले ओलिंपिक से हो सकती हैं बाहर

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    भारत के लिए टोक्यो ओलिंपिक 2020 बहुत ही शानदार रहा है। भारत का प्रदर्शन उत्तम रहा है। भारत के लिए इस साल ओलिंपिक में मीरा बाई चानू ने पहला पदक जीता था। चानू ने सिल्वर मेडल जीतकर तोक्यो ओलिंपिक में भारतीय अभियान का शानदार आगाज किया था। स्वदेश लौटने के बाद उनका धूमधाम से स्वागत हुआ। मणिपुर की इस बेटी ने वादा किया था कि वह पैरिस में होने वाले अगले ओलिंपिक में गोल्ड जीतेंगी, लेकिन अब लग रहा है कि उनका यह सपना अधूरा ही रह जाएगा।

    पहला पदक मीराबाई ने जीतकर कर देशवासियों में उत्साह भर दिया था। हर कोने में उनकी तारीफ हो रही थी लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने ओलिंपिक कार्यक्रम से खेलों को हटाने के लिए खुद को और शक्तिशाली बना लिया है। वेटलिफ्टिंग और बॉक्सिंग संघों से उसका पुराना विवाद है। पेरिस 2024 ओलिंपिक के लिए पहले ही वेटलिफ्टर और बॉक्सर्स का कोटा कम कर दिया गया था। अब खबर है कि दोनों ही खेलों को बाहर का भी रास्ता दिखाया जा सकता है।

    क्या अधूरा रह जाएगा मीराबाई चानू का गोल्ड जीतने का सपना, अगले ओलिंपिक से हो सकती हैं बाहर

    गोल्ड मेडल जीतने का सपना उनका अधूरा ही रह सकता है। हर खिलाडी का सपना होता है कि वह देश के लिए गोल्ड मेडल जीते। बीते कुछ साल में इस खेल की साख पर जबरदस्त बट्टा लगा है। लगातार डोपिंग के मामले, वित्तीय भ्रष्टाचार और खराब लीडरशिप इसके अहम कारण हैं। इंटरनेशनल वेटलिफ्टिंग एसोसिएशन की कमान लगभग दो दशक तक तमस अजान संभाल रहे थे।पिछले ही साल आईओसी के इस पूर्व सदस्य ने पद छोड़ा।

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    काफी सालों से ही यह खेल बड़ा मुद्दा बने हुए हैं। इन दोनों खेलों से जुड़े मुद्दों को देखते हुए ही आईओसी के सदस्यों ने मतदान करके खेलों की सर्वोच्च संस्था को किसी खेल को ओलिंपिक कार्यक्रम से बाहर करने के अधिक अधिकार दिए। आईओसी के अनुसार अब यदि कोई खेल आईओसी के कार्यकारी बोर्ड के फैसलों का पालन नहीं करता है या ऐसे काम करता है जिससे ओलिंपिक आंदोलन की छवि धूमिल होती हो तो आईओसी उसे कार्यक्रम से हटा सकती है।

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    भारत के करोड़ों लोगों का सपना होता है गोल्ड मेडल। इस ओलिंपिक में नीरज चोपड़ा ने यह सपना पूरा किया है।