लॉकडाउन में छिनी नौकरी तो इंजीनियर करने लगा नाले की सफाई, देखकर नम हो गया दिल

    0
    371

    महामारी ने कई लोगों की ज़िंदगी में त्रासदी लायी है। गरीबों पर और मिडिल क्लास परिवार पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है। महामारी का असर वैसे पर हर इंसान पर पड़ा है, मगर इस मुश्किल समय में कुछ समय रुककर उन लोगों के बारे में भी जानते हैं, जो महामारी के चलते जीने की कगार पर जा चुके हैं और महामारी की नई लहर ने इन लोगों को और अधिक गरीबी में धकेल दिया है।

    कई लोगों के पास आज भी नौकरी नहीं है जो पिछले साल लॉकडाउन के कारण छूटी थी। वह अपना गुजारा काफी खस्ता हालत में कर रहे हैं। अपनी जिंदगी के लिए हर रोज संघर्ष करने वाले ये लोग अब कहीं न कहीं अपनी यह लड़ाई हार रहे हैं. महामारी ने जहां लोगों की सेहत को बड़ा नुकसान पहुंचाया है तो वहीं काफी लोग ऐसे भी जिनकी रोजी रोटी छिन गई। रोजगार छिन जाने पर इन लोगों के लिए परिवार चलाना मुश्किल हो चुका है।

    लॉकडाउन में छिनी नौकरी तो इंजीनियर करने लगा नाले की सफाई, देखकर नम हो गया दिल

    आर्थिक स्थिति इतनी ख़राब हो चुकी है कि कई सारे लोग तो कर्ज लेकर घर चला रहे हैं कि परिवार को दो वक्त की रोटी मिल सके, इसलिए बहुत से IT इंजीनियर और डबल ग्रेजुएट करने लगे लोग भी कुछ भी काम करने को तैयार हैं। यहां तक वह नाले की सफाई तक करने को मजबूर हैं। महाराष्‍ट्र के मंब्रा इलाके में वायरस की मार के साथ नौकरी से लात खाने वाले कुछ लोग नाले की सफाई तक करने को मजबूर हैं।

    लॉकडाउन में छिनी नौकरी तो इंजीनियर करने लगा नाले की सफाई, देखकर नम हो गया दिल

    शायद ही ऐसा किसी ने सोचा होगा कि इंजीनियर बनने के बाद भी नाले साफ़ करने पड़ेंगे। आईटी इंजीनियर और डबल ग्रेजुएट कर चुके ये लोग पैसों के लिए बारिश के मौसम में नाले की सफाई कर रहे हैं। एक युवक ने बताया कि नाले की सफाई से जो भी आमदनी होती है, उससे परिवार को चलाना होता है। हालांकि युवक का यह भी कहना है कि इन काम चाहे किसी भी तरह का हो, काम तो काम होता है।

    लॉकडाउन में छिनी नौकरी तो इंजीनियर करने लगा नाले की सफाई, देखकर नम हो गया दिल

    काम के प्रति युवाओं का जोश एवं हौसला देखने के लायक है। दरअसल ऐसे ही दूसरे युवक का कहना है कि वो डबल ग्रेजुएट हैं और पिछले तीन महीनों से ठेकेदार के साथ काम कर रहा है।