इंसानी ज़िंदगी संघर्ष का दूसरा नाम होती हैं। जीवन में संघर्ष के बिना शायद ही कोई मुकाम मिलता है। जो सपने हम देखते हैं उन्हें पूरा करने के लिए हमारा बैकग्रॉउंड वैसा नहीं होता। हैदराबाद की रहने वाली 22 वर्षीय बच्ची डाॅक्टर बनने का सपना तो देखती है लेकिन मजबूरियों ने उसके सपनों को बांध रखा है। आर्थिक तंगी के चलते ये बच्ची अपनी मेडिकल की पढ़ाई छोड़कर सब्जियां बेचने के लिए मजबूर है।
इस युवती की हालत देखकर सभी की आँखें नम हो रही हैं। हर कोई इसके अच्छे की कामना कर रहा है। ऐसे ही न जाने कितने लोग महामारी की वजह से आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और मजबूरियों के चलते पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं।
महामारी ने सभी वर्ग के लोगों को बड़ी आर्थिक मुसीबत में धकेला है। हर कोई मजबूर है। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे ही मजबूर छात्रा की जिसने मेडिकल में जाने का तो सपना देखा और उस सपने को पूरा करने के लिए आधा रास्ता भी पार कर गई लेकिन महामारी ने उसके सपनों के पर कतर दिए और अब वह आर्थिक तंगी से जूझते हुए, घर के हालातों के मद्देनजर सब्जियां बेचने के लिए मजबूर है।
घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण न जानें कितने ही लोगों के सपने टूटे हैं। हैदराबाद की रहने वाली 22 वर्षीय अनुषा एक मेडिकल काॅलेज में एमबीबीएस के थर्ड ईयर की पढ़ाई कर रही है, लेकिन महामारी की वजह से उसका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है जिस वजह से वह अपनी फीस नहीं भर पा रही। वहीं दूसरी ओर घर की खराब स्थिति देख वह अपनी पढ़ाई छोड़कर अपनी मां के साथ हैदराबाद की सड़कों पर सब्जी बेच रही है।
उसका सपना डॉक्टर बनने का है लेकिन परिवार के पास अब उसे पढ़ाने को पैसे नहीं है।