हुक्के पीने चलन बुजुर्गों के बाद युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन इसके बढ़ते नुकसान को देखते हुए हरियाणा सरकार लोगों को इससे दूर करने लिए तैयारी कर रही है। इसके लिए सरकार एक विशेष रणनीति के तहत कार्ययोजना बना रही है। इसके तहत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सूचना, शिक्षा और संचार को आधार बनाकर लोगों के बीच जाएंगे और हुक्के के मिथकों को तोड़ने का प्रयास करेंगे।
हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के एसीएस राजीव अरोड़ा ने गुरुवार को राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के संचालन दिशानिर्देशों के अनुसरण को लेकर राज्य स्तरीय समन्वय समिति (एसएलसीसी) की समीक्षा बैठक ली।
उन्होंने अधिकारियों को हुक्का, चबाने योग्य तंबाकू, गुटखा आदि के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कई गतिविधियों को संचालित करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि विभिन्न गतिविधियों को केवल ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ तक सीमित करने के बजाय पूरे वर्ष आयोजित किया जाए। स्वास्थ्य विभाग की महानिदेशक डॉ. वीना सिंह ने भी कहा कि धूम्रपान को शुरुआत में ही रोका जाना चाहिए, नहीं तो इसकी लत पड़ जाती है।
हुक्के को लेकर हैं कई मिथक
हरियाणा में हुक्के की एक खास पहचान और इसे यहां शान माना जाता है। आजकल युवाओं में हुक्के का चलन तेजी से बढ़ रहा है। शहरों में अवैध तरीके से हुक्का बार खुल रहे हैं। हुक्के को लेकर एक मिथक है कि इसे पीने से कोई नुकसान नहीं होता है। वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि हुक्का सिगरेट से भी ज्यादा नुकसानदायक होता है।
हुक्के में तंबाकू को गरम करने के लिए कोयला जलाया जाता है जिससे कार्बन मोनोऑक्साइड गैस सांस के रास्ते शरीर में जाता है और इससे नुकसान और भी ज्यादा बढ़ जाता है। एक शोध में धुएं के जरिये शरीर में पहुंचने वाले 100 नैनोमीटर से भी छोटे सूक्ष्म कणों का अध्ययन किया गया। एक मिथक यह भी है कि पानी से फिल्टर होकर धुआं आने से नुकसान नहीं होता लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा कोई अध्ययन नहीं किया गया है, यह केवल एक भ्रम है।