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हद ही हो गई: दिव्यांगता का बनाया मजाक, फर्जी प्रमाणपत्र दिखा 13 साल तक लेता रहा पेंशन

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हरियाणा के सोनीपत जिले में दिव्यांग होने का फर्जी प्रमाणपत्र बनाकर 13 साल तक पेंशन लेने का मामला सामने आया है। गोहाना सदर थाने की पुलिस ने रभड़ा गांव के निवासी अजीत पुत्र राम चंद्र के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

आरोप है कि अजीत 10 फीसदी ही दिव्यांग है लेकिन फर्जी दस्तावेजों की सहायता से 70 प्रतिशत दिव्यांगता का प्रमाणपत्र बनवाकर पूरे 13 साल तक दिव्यांग पेंशन प्राप्त करता रहा।

हद ही हो गई: दिव्यांगता का बनाया मजाक, फर्जी प्रमाणपत्र दिखा 13 साल तक लेता रहा पेंशन

गांव खानपुर कलां स्थित बीपीएस गवर्नमेंट महिला मेडिकल कॉलेज में आरोपी का मेडिकल परीक्षण भी किया गया। पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है। शिकायतकर्ता राम निवास पुत्र जीत राम भी उसी रभड़ा गांव का ही निवासी है।

70 फीसदी दिव्यांगता का नकली प्रमाण पत्र बनवाया

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उसने बताया कि अजीत ने 1999 में अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया था। उसने गोहाना के एसडीएम कार्यालय से यह ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया था। उसके बाद 17 फरवरी 2003 को आरोपी ने सोनीपत के सीएमओ कार्यालय से 70 फीसदी दिव्यांग होने का प्रमाणपत्र बनवाया।

इसके बाद 26 मार्च 2003 को यह प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया। प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद वह हर महीने दिव्यांग पेंशन पाने लगा।

13 साल दिव्यांग बनकर ली पेंशन

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राम निवास का दावा है कि अजीत ने 26 सितम्बर 2013 को जब अपने ड्राइविंग लाइसेंस का नवीकरण करवाया, तब हुए मेडिकल परीक्षण में चिकित्सक द्वारा दिए गए फिटनेस प्रमाणपत्र के आधार पर ही उसका लाइसेंस रिन्यू किया गया। तब तक वह पूरे 13 साल तक नकली दिव्यांग बन कर दिव्यांग पेंशन प्राप्त करता रहा।

मेडिकल परीक्षण में 10 प्रतिशत दिव्यांगता ही मिली

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इसी साल 18 मार्च को गांव खानपुर कलां स्थित बीपीएस राजकीय महिला मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में आरोपित अजीत का मेडिकल परीक्षण किया गया। इस परीक्षण में उसमें केवल 10 प्रतिशत ही दिव्यांगता पाई गई। आरोपित अजीत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471 और 120 बी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

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