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तालिबान के आतंक से परेशान अफगानी छात्रों का छलका दर्द सुनाई आपबीती, वो लोग घरों मे घुस कर रहे हैं यह काम

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हरियाणा के रोहतक के अनेक छात्र अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं। अफगानिस्तान के हालतों से इन दिनों हर कोई वाकिफ है। अफगानिस्तान में फंसे एमडीयू के कुछ छात्रों से बातचीत की गई। बातचीत के दौरान छात्रों ने आपबीती सुनाई। अफगानी छात्र नूर गुल साफी ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि जब पूरा देश कोविड-19 की दूसरी लहर से जूझ रहा था तब वह अफगानिस्तान वापस लौटा था।

उसने बताया कि उस वक्त यहां स्थिति काफी बेहतर थी। कॉलेज बंद होने के कारण ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी गई थी। लेकिन कुछ ही महीनों यहां में माहौल बदल गया। नूर ने कहा कि अब यहां स्थिति यह हो चुकी है कि कोई भी घर से नहीं निकल पा रहा है। चारों ओर केवल डर का ही माहौल है। सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं और घरों में खाना भी खत्म होने की कगार पर पहुंच चुका है।

तालिबान के आतंक से परेशान अफगानी छात्रों का छलका दर्द सुनाई आपबीती, वो लोग घरों मे घुस कर रहे हैं यह काम

अफगानी छात्र नूर गुल ने बताया कि हमारे पूरे शहर में तालिबान का ही पूरा कब्जा है तथा हमारे अब्बू भी हमसे 600 किलोमीटर दूर काबुल में फंसे हुए हैं। उसने कहा कि अब्बू कंस्ट्रक्शन के काम में थे और तालिबान की वापसी के कारण वे घर नहीं आ पाए। नूर गुल साफी नार्थ अफगानिस्तान के बाल्ख सिटी के निवासी हैं एमडीयू के छात्र हैं। एमडीयू में 60 से भी अधिक अफगानी छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं।

कोविड – 19 की दूसरी लहर के दौरान कई छात्र – छात्राएं वापस अफगानिस्तान लौट गए थे, लेकिन कुछ नहीं लौट पाए। कुछ जो वापिस नहीं आए वे विवि के आसपास पीजी लेकर रह रहे हैं और काफी दिल्ली में भी रह रहे हैं। अफगानिस्तान में तालिबान के कारण पैदा हुई अव्यवस्था की स्थिति के बीच एमडीयू प्रशासन को वीजा बढ़वाने के लिए भी अफगानी विद्यार्थियों ने संपर्क किया है।

तालिबान के आतंक से परेशान अफगानी छात्रों का छलका दर्द सुनाई आपबीती, वो लोग घरों मे घुस कर रहे हैं यह काम

नूर गुल साफी ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2019 में एमडीयू में एमए पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एडमिशन हुआ था। उनके घरवाले बेटे को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते थे ताकि वे घर के हालात को सुधारे। नूर ने बताया कि वे पढ़ाई में अच्छे हैं व खूब पढ़ना भी चाहते हैं। उन्होंने बताया कि मेरे जैसे लाखों अफगानी भी पढ़ना चाहते हैं लेकिन तालिबान ने उन सभी के सपनों को चूर कर दिया है। नूर ने बताया कि उनका घर मजारे-ए-शरीफ के पास है और यह एक स्ट्रेटिजिक लोकेशन है तथा कई देशों की एंबेसी भी यहां हैं। उनके घर का एरिया पूरी तरह से तालिबानियों के कब्जे में हैं।

नूर गुल साफी ने बताया कि यहां के हालात कुछ ज्यादा ही खराब हैं। उनके अनुसार सभी गली-कूचों में तालिबान पहुंच चुका है और उन्होंने व्यवस्था को पूरी तरह से तहस – नहस कर दिया है। तालिबान के लोग घरों में घुस – घुसकर लोगों से पूछताछ कर रहे हैं तथा सरकार का समर्थन करने वाले लोगों को मार रहे हैं। उन्होंने बताया कि जो बहनें यूनिवर्सिटी में पढ़ती हैं। उनके लिए तो स्थिति और भी अधिक आपत्तिजनक है। नूर ने कहा की फिलहाल अफगानिस्तान में भविष्य नहीं है। यहां पर कोई भी सुरक्षित नहीं है। यहां रह रहे नागरिक दूसरे देश में भाग जाना चाहते हैं लेकिन उनके पास इसका भी कोई जारिया नहीं बचा है।

तालिबान के आतंक से परेशान अफगानी छात्रों का छलका दर्द सुनाई आपबीती, वो लोग घरों मे घुस कर रहे हैं यह काम

वहीं एक और अन्य छात्र मुर्तजा अनीरी का कहना है कि उनका वर्ष 2019 में एमडीयू में एमकॉम में एडमिशन हुआ था। तभी से वह भारत में रह रह है। कोविड के दौरान भी वह वापस नहीं गया। लेकिन अब जब जाने का मन हुआ तो यहां तालिबान का आतंक शुरू हो गया। मुर्तजा अनीरी ने बताया कि वह ईरान बार्डर के पास हेरात सिटी से है। उसने कहा कि यहां के सभी लोग जाफरान की खेती करते हैं और हमारे भी जाफरान के खेत हैं। उसके पिता एक स्कूल में इतिहास के अध्यापक हैं था बड़ी बहन भी गांव के ही एक स्कूल में केमिस्ट्री की अध्यापिका हैं। अनिरी ने बताया की तालिबानियों ने सभी स्कूलों व यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है। यहां महिलाओं की स्थिति काफी बदतर हो चुकी है तथा उन्हें हर वक्त बुर्के में रहने के लिए फरमान जारी किए गए हैं।

तालिबान के आतंक से परेशान अफगानी छात्रों का छलका दर्द सुनाई आपबीती, वो लोग घरों मे घुस कर रहे हैं यह काम

मुर्तजा का कहना है कि अफगानिस्तान को यह स्थिति अमेरिका की वजह से देखनी पड़ रही है। उन्होंने ही हमारे देश को मझदार में छाेड़ दिया। अमीरी के पिता ने फोन पर बताया कि वहां सभी बैंक एक सप्ताह से बंद हैं। मुर्तजा ने बताया कि जर्मनी में बड़े भाई वजीर अहमद जोकि एक रेस्टोरेंट कर्मचारी हैं, वे रुपये भेजकर उसकी मदद कर रहे हैं। उसने बताया कि उसका वीजा भी अब केवल 30-35 दिनों का ही बचा है। परिवार वाले उन्हें अफगानिस्तान आने से मना कर रहे हैं। उन्होंने एमडीयू एडमिनिस्ट्रेशन को अपनी स्थिति से अवगत कराया है, ताकि उन्हें पूरी मदद मिल सके।

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