किन्नर होने के कारण नहीं बन सकती माँ, अब अनाथ बच्चों की मां बनकर कर रहीं हैं उनके लिए ये बड़ा काम

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    जीवन की सार्थकता स्वयं से हटकर दूसरों के लिए सोचना भी है। हम हमेशा खुद के बारे में सोचते हैं लेकिन दूसरों का कभी ख्याल नहीं आता। समाज में हर प्रकार के लोग रहते हैं, जिनका हमें सम्मान करना चाहिए। अगर कोई अपनी पहचान से भिन्न है, तब इसका यह मतलब नहीं है कि उसके साथ दोहरा बरताव किया जाए। किन्नर भी हमारे समाज का हिस्सा हैं, लेकिन लोग उन्हें हेय दृष्टि से देखते हैं मगर किसी के साथ ऐसा व्यवहार करना क्या उचित है?

    मन में बेसहारा लोगों को सहारा देने का जज्बा हो तो कोई भी समस्या आपके आड़े नहीं आ सकती। हम बात कर रहे हैं, छत्तीसगढ़ के कांकेर के पखांजूर की रहने वाली मनीषा की, जो एक किन्नर हैं। जब उनके माता-पिता को यह पता चला कि उनका बच्चा किन्नर है, तो उन्होंने अपनाने से मना कर दिया था। ऐसे में एक किन्नर ने उन्हें सहारा दिया था।

    किन्नर होने के कारण नहीं बन सकती माँ, अब अनाथ बच्चों की मां बनकर कर रहीं हैं उनके लिए ये बड़ा काम

    लोगों की खुशियों में शामिल होकर उन्हें दुआएं देने वाली मनीषा ने अलग ही पहचान बनाई है। मनीषा कहती हैं कि आज भी मैं अपने परिवार के पास जाना चाहती हूं, लेकिन वह मुझे अपनाने को तैयार नहीं हैं। मनीषा अपनों के न होने का दर्द समझती हैं इसलिए जब भी कोई अनाथ उन्हें मिलता है, तो वे उसे अपने साथ ले आती हैं।

    अखिल भारतीय किन्नर सम्मेलन शुरू

    बच्चों की सलामती के लिए दुआएं देने में सबसे आगे रहने वाले किन्नर समाज सेवा में किसी से भी पीछे नहीं हैं। मनीषा अब तक 9 बच्चों को गोद ले चुकी हैं, जिनमें ज्यादातर बेटियां हैं। मनीषा और उनकी टीम मिलकर उन अनाथ बच्चों के खाने-पीने, कपड़े और पढ़ाई का इंतजाम करती है। मनीषा बताती हैं कि कुछ दिन पहले पढ़ी-लिखी और संपन्न परिवार की एक महिला ने अपने बच्चे को गर्भ में मारने के लिए चूना और गुड़ाखू खा लिया था।

    किन्नर होने के कारण नहीं बन सकती माँ, अब अनाथ बच्चों की मां बनकर कर रहीं हैं उनके लिए ये बड़ा काम

    कई किन्नर ऐसे भी जो जरूरतमंद बेटियों का कन्यादान भी करते हैं। जब मनीषा को उस महिला का पता चला वे अपने टीम के साथ बधाई मांगकर वापस आ रही थी। रास्ते में महिला को तड़पते हुए देखा तो अस्पताल ले गईं, लेकिन अस्पताल वाले डिलीवरी करने से डर रहे थे इसलिए मनीषा उन्हें अपने घर लाई और प्राइवेट डाक्टर बुलाकर डिलीवरी करा। वह महिला बेटी को नहीं रखना चाहती थी, इसलिए मनीषा ने उसे अपने पास रख लिया।