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दो भाईयों ने वकालत पेशे के साथ साथ बागवानी व सब्जी की खेती को अपनाकर नई मिसाल पेश की

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वह कहते हैं जिंदगी में कभी ना कभी ऐसी स्थिति जरूर आती है, जिसके चलते व्यक्ति ने जो कभी अनुभव ना किया हो वह सभी अनुभव और परिस्थिति का ज्ञान करा देती हैं। खासकर, अगर बात की जाए तो संक्रमण या वैश्विक महामारी के दौरान लोगों ने वह भी दृश्य देखे है, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

महीनो तक घर बैठना, आर्थिक तंगी से जूझ, ना बाहर निकल पाना, अपने घर में कैद हो जाना। जाने कितने ही ऐसे दृश्य दुनिया के हर व्यक्ति ने देखें हैं,जिसके बाद लोगों ने अब सबक सीखा और संक्रमण काल में भी खुद को आर्थिक मंदी से बचाने के लिए एक ही क्षेत्र में कदम न रख कर दूसरे भी क्षेत्रों में अपना हाथ आजमाया।

दो भाईयों ने वकालत पेशे के साथ साथ बागवानी व सब्जी की खेती को अपनाकर नई मिसाल पेश की

इसका ताजा उदाहरण, उचाना हलके के गांव के घोघड़िया के दो चचेरे भाई वकालत पेशे के साथ साथ बागवानी व सब्जी की खेती को अपनाकर नई मिसाल पेश की है। कोरोना काल में लॉकडाउन लगा और कोर्ट बंद हो गई थी तो दोनों वकील भाइयों ने गांव में अपनी जमीन पर बागवानी व पॉली हाउस में सब्जी की खेती शुरू की थी। डेढ़ साल में ही इस व्यवसाय से लाखों रुपए की आमदनी हो चुकी है।

दो भाईयों ने वकालत पेशे के साथ साथ बागवानी व सब्जी की खेती को अपनाकर नई मिसाल पेश की

साथ ही दूसरों को भी रोजगार और बागवानी खेती की ट्रेनिंग देकर स्वरोजगार को बढ़ावा दे रहे हैं। सज्जन बूरा और यज्ञदीप दोनों चचेरे भाई हैं। यज्ञदीप बूरा अर्बन एस्टेट कॉलोनी और सज्जन बूरा पटियाला चौक जींद रहता है और दोनों जिला कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं।

दो भाईयों ने वकालत पेशे के साथ साथ बागवानी व सब्जी की खेती को अपनाकर नई मिसाल पेश की

दोनों भाइयों ने आपदा को अवसर में बदलकर गांव में जाकर अपनी जमीन पर बागवानी की खेती करने का मन बनाया। बागवानी विभाग से सलाह और ट्रेनिंग लेकर बागवानी शुरू की और शुरुआत में नेट हाऊस लगाकर तीन एकड़ में खीरा लगाया और तरबूज की बेल भी लगाई। इसके बाद तीन एकड़ में अमरूद और एक एकड़ में किन्नू लगाया।

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