कोरोना वायरस के लक्षण में जुड़े 5 नए अंदाज, अब जरूरत से ज़्यादा गंभीर होने की जरूरत

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दुनियाभर में तबाही के मंजर दिखाने वाला कोरोना वायरस अब तक ढाई लाख लोगों की जीवन लीला को समाप्त कर चुका है। वहीं दूसरी ओर देश भर के वैज्ञानिक अध्ययन कर कोरोना की वैक्सीन खोजने में जुटे है, लेकिन अब समस्या सामने आने लगी है कि कोरोना अपने नए ढंग से मरीजों को अपना शिकार बना रहा है।

वायरस के संक्रमण के लगातार नए-नए लक्षण दिख रहे हैं, जिसमें सर्दी-खांसी-बुखार जैसे क्लासिकल लक्षणों के बाद अब नया लक्षण है त्वचा पर चकत्ते आना भी शामिल हो गया है। कोरोना के मरीज में शुरुआती दौर में शरीर में पांच अलग-अलग तरह के चकत्ते नजर आ रहे हैं।

कोरोना वायरस के लक्षण में जुड़े 5 नए अंदाज, अब जरूरत से ज़्यादा गंभीर होने की जरूरत

Spanish Academy of Dermatology द्वारा नए लक्षण की जांच के लिए 375 कोरोना संक्रमित मरीजों पर स्टडी की गई तो संक्रमित व्यक्ति की स्किन पर असर को देखा गया। जिसमें अब पांच तरह के स्किन रैशों की पुष्टि हुई है।

यह पांच लक्षण है आपके शरीर में तुरंत स्वास्थ्य विभाग को सूचित करें

पहली तरह के रैश या चकत्ते में स्किन पर हाथ-पैरों पर लाल दाने उभर आते हैं, जिनमें खुजली भी होती है, साथ ही तेज बुखार आ जाता है। दानों का रंग लाल से लेकर बैंगनी तक हो सकता है और ये छोटे लेकिन छितरे हुए होते हैं, यानी इनका आकार कैसा भी हो सकता है।British Journal of Dermatology में ये स्टडी आई, जिसके मुताबिक कोरोना के 19% मरीजों में इस तरह के चकत्ते होते हैं। खासकर कम उम्र के मरीजों में ये लक्षण ज्यादा दिखते हैं। इन रैशेज को Chilblain-like symptoms के तहत रखा गया है।

लगभग 9% कोरोना संक्रमितों में Vesicular eruptions देखा गया है। इसमें छोटे-छोटे दाने शरीर के किसी भी हिस्से, लेकिन खासतौर पर पीछे की ओर और यौनांगों के आसपास दिखते हैं। बीमारी गंभीर होने पर इनमें खून भी भर आता है और दाने फटते रहते हैं. साथ ही ये बड़े होते और फैलते जाते हैं। अधेड़ मरीजों में ये लक्षण दिखता है जो लगभग 10 दिनों में चला जाता है।

स्किन में रैशेज की तीसरी अवस्था Urticarial lesion से मिलती-जुलती है। इसमें शरीर के कई हिस्सों में जख्म की तरह दाने दिखने लगते हैं। आमतौर पर ये सफेद या गुलाबी रंग के होते हैं. कई मामलों में ये हथेलियों पर भी दिखते हैं। कोरोना के लगभग 19% मरीजों में ये लक्षण दिखते हैं जो 6 से 7 दिनों में गायब भी हो जाते हैं।

चौथे टाइप को Maculopapules रैश के तहत रखा जा रहा है, ये सबसे ज्यादा 47% मरीजों में दिखाई दिये। इसमें त्वचा पर सूजन के साथ छोटे, लेकिन चपटे आकार में उभरे हुए दाने आ जाते हैं। स्किन पर बालों के आसपास भी ये दिखते हैं। काफी खुजली देने वाले ये दाने कोरोना के दूसरे लक्षणों के उभरने के साथ ही साथ खत्म हो जाते हैं। अमूमन 8 दिनों में ये गायब हो जाते हैं।

पांचवी और रैशेज की आखिरी श्रेणी Livedo से मिलती-जुलती है. इसे necrosis भी कहते हैं. ये सबसे कम लोगों में दिखती है. ये रैशेज तब आते हैं, जब स्किन के भीतर के रक्त वाहिकाएं ऑक्सीजन का बहाव कम होने के कारण काम करने में परेशानी महसूस करने लगती हैं. इसे स्किन टिश्यू की असमय मौत भी माना जाता है. ये लक्षण कोरोना के उम्रदराज मरीजों में दिखता है, जिसमें पहले से ही कार्डियक या फेफड़ों की समस्या रही हो. इन सबसे बीच अब वैज्ञानिक ये समझने में लगे हुए हैं कि कोरोना के कुछ मरीजों में इस तरह के रैशेज होना और ठीक उसी अवस्था में पहुंचे दूसरे मरीजों में ऐसा बिल्कुल न होना- इसकी क्या वजह हो सकती है. साथ ही कोरोना वायरस के स्किन पर असर पर भी स्टडी की जा रही है।

जैसे जैसे वैज्ञानिकों द्वारा कोरोना वायरस पर गहराई से अध्ययन किया जा रहा है,वैसे वैसे रोज नए लक्षण शोध के दौरान उभर कर आ रहे है। इसका मतलब है कि अब नए तरीके का कोरोना आपके इर्द गिर्द हो सकता है। इसलिए अब जरूरी है कि आमजन भी जरूरत से ज़्यादा गंभीर हो जाए।