भारतीय दूतावासों का मैसेज अलर्ट नजरअंदाज करने पर हालात बिगड़े, फरीदाबाद सहित कई जिलों के लोग अफगानिस्तान में फंसे

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अफगानिस्तान में तालिबानियों द्वारा किए गए कब्जे के बाद वहां के हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ते ही जा रहे हैं, बस हर कोई वहां से निकलकर अपने मुल्क
को छोड़ देने की रट लगाए हुए हैं, ऐसे में इस बीच भारतीय दूतावासों ने भी भारतीयों को व्हाट्सएप पर मैसेज भेजे थे मगर हुआ यूं कि तालिबानियों को काबुल तक पहुंचने में दो से तीन महीने का समय लगेगा,

इसी गफलत में कई भारतीयों ने बाद में जाने की सोची। इसी कारण पानीपत, पंचकूला, फरीदाबाद सहित तामिलनाडु, त्रिपुरा के कई लोग आज भी अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं।

भारतीय दूतावासों का मैसेज अलर्ट नजरअंदाज करने पर हालात बिगड़े, फरीदाबाद सहित कई जिलों के लोग अफगानिस्तान में फंसे

ऐसे में अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों ने कहा कि वे अभी सुरक्षित हैं, लेकिन अपने वतन लौटने का इंतजार कर रहे हैं। अब होटलों में भी खाने की दिक्कतें आने लगी हैं। इनका कहना है कि तालिबानी सड़कों पर हथियार लेकर घूम रहे हैं और उनका खौफ लोगों में है।

भारतीय दूतावासों का मैसेज अलर्ट नजरअंदाज करने पर हालात बिगड़े, फरीदाबाद सहित कई जिलों के लोग अफगानिस्तान में फंसे

फरीदाबाद निवासी सुरजीत सिंह पिछले करीब 10 साल से एक कंपनी में काम करते हैं। इनके साथ ही पंचकूला के दिनेश कुमार, पानीपत के रवि मलिक, त्रिपुरा के हीरक, तामिलनाडु के पोथीराज और खिताब अफगानिस्तान में फंसे हैं। सुरजीत ने जागरण को बताया कि भारतीय दूतावास का समय-समय पर अलर्ट आता रहा,

लेकिन यहां पर यही कहा जाता था कि काबुल तक पहुंचने में तालिबानियों को दो से तीन माह लग जाएंगे। वहां के लोगों को अफगान सेना पर भरोसा था, लेकिन जब सुबह उठे तो तस्वीर बदली हुई थी। भारत लौटने के लिए जब एयरपोर्ट पर पहुंचे तो वहां लाखों लोग मौजूद थे।

दिनेश और सुरजीत ने बताया कि साढ़े तीन माह में 15 दिन की छुट्टी मिलती है। इस बीच वे भारत आते हैं और साल में तीन बार इसी तरह से उनका आना-जाना रहता है। अब भी उनको वापस लौटना था, लेकिन प्रोजेक्ट पूरा होने में एक सप्ताह बचा था। वह प्रोजेक्ट पूरा करने में लगे रहे, लेकिन तालिबान ने काबुल पर भी कब्जा कर लिया और हालात पूरी तरह से बदल गए।