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सिवान: एक अनोखा मंदिर जहां बहनें करती हैं भाईयों के लिए पूजा, यह है मान्यता

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जैसे की रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्यार के लिए पूरे संसार में प्रसिद्ध है। बहने अपनी भाईयों की सलामती और उन्नति के भगवान से प्रार्थना करती हैं। बिहार के सिवान जिले में एक ऐसा मंदिर है जिसे भाई और बहन के प्रेम का प्रतिक माना जाता है। इस अति प्राचीन मंदिर को भैया-बहिनी मंदिर नाम से जाना जाता है। रक्षाबंधन के ठीक एक दिन पहले अपने भाईयों की सलामती, तरक्की और उन्नति के लिए बहनें यहां पूजा करने के लिए आती हैं।

भाई–बहन के पवित्र रिश्ते और प्रेम का प्रतीक यह भैया–बहिनी मंदिर सिवान जिले के महाराजगंज अनुमंडल स्थित दरौंदा प्रखंड के भीखाबांध गाँव में स्थापित है।

सिवान: एक अनोखा मंदिर जहां बहनें करती हैं भाईयों के लिए पूजा, यह है मान्यता

यह मंदिर भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और प्रेम का प्रतिक के रूप में विख्यात है। रक्षाबंधन के एक दिन पहले मंदिर में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लग जाता है और ये श्रद्धालु और कोई नहीं बल्कि अपने भाईयों से अटूट प्यार और स्नेह रखने वाली उनकी बहने होती हैं।

पूर्णिमा के पहले दिन लगती है यहां बहनों की कतारें

सिवान: एक अनोखा मंदिर जहां बहनें करती हैं भाईयों के लिए पूजा, यह है मान्यता

साथ ही लोगों का यह भी कहना है कि इस मंदिर में पूजा करने वाली बहनों के भाईयों को दीर्घायु के साथ-साथ तरक्की और उन्नति भी प्राप्त होती है। इसलिए हर साल सावन की पूर्णिमा के दिन पहले यहां बहनों की कतारें लग जाती हैं। मंदिर और मंदिर में लगे बरगद के पेड़ो की पूजा–अर्चना करती हैं।

मंदिर में नहीं है कोई मूर्ति या तस्वीर

सिवान: एक अनोखा मंदिर जहां बहनें करती हैं भाईयों के लिए पूजा, यह है मान्यता

स्मरण रहे कि भैया-बहिनी नामक इस मंदिर में न तो किसी भगवान की मूर्ति है और ना कोई तस्वीर। बल्कि मंदिर के बीचोबीच मिट्टी का एक ढेर मात्र है। बहने इसी मिट्टी के पिंड और मंदिर के बाहर लगे बरगद के पेड़ो की पूजा कर अपने भाईयों की सलामती, उन्नति और लम्बी उम्र की कामना करती हैं।

डाकुओं से बचने के लिए धरती में समाए भाई–बहन

यह मंदिर चारों ओर से बरगद के पेड़ो के बीच पांच-छ: बीघे के भू-खंड में बना हुआ है। इस भैया-बहिनी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि मुग़ल शासन काल के दौरान यहां से गुजर रहे दो भाई-बहनों पर डाकुओं और बदमाशो की नजर पड़ी। भाई अपनी बहन की डोली लेकर जा रहा था। तभी कुछ मुगल सैनिक उनके पास आए और डोली को आगे जाने से रोक दिया। वे मुगल सैनिक उसकी बहन से दुर्व्यवहार कर रहे थे और उसके भाई से यह सब देखा नहीं गया तो वह मुगलों से अपनी बहन की रक्षा करने के लिए उनसे भिड़ गया। बहन की रक्षा करते करते वह कुर्बान हो गया। यह सब देख बहन ने भगवान से प्रार्थना की और वह अपने भाई के साथ धरती में समा गई।

सिवान: एक अनोखा मंदिर जहां बहनें करती हैं भाईयों के लिए पूजा, यह है मान्यता

समाधि पर उगे दो बरगद के पेड़, अब भाई बहन के रूप में होती है पूजा

काफी समय बीतने के बाद दोनों की समाधियों पर दो बरगद के पेड़ उग आये जो की आपस में एक–दूसरे से जुड़े हुए थे। लोगों ने उन बरगद के पेड़ो को उन्हीं भाई-बहनों का रूप मानकर वहां एक छोटा सा मंदिर बनाकर पूजा-अर्चना करनी शुरू कर दी और यह धीरे-धीरे बहनों के आस्था का केंद्र बन गया।

भाई-बहन के प्यार की अनूठी मिसाल है ये मंदिर

सिवान: एक अनोखा मंदिर जहां बहनें करती हैं भाईयों के लिए पूजा, यह है मान्यता

भाई-बहन के पवित्र रिश्तों और प्यार की अनूठी मिसाल है भीखाबांध का यह भैया-बहिनी मंदिर। भाईयों की सलामती, उन्नति और दीर्घायु के लिए यह मंदिर बहनों की आस्था का केंद्र बन गया है। अपनी सलामती और रक्षा के लिए बहनों द्वारा रक्षाबंधन के दिन अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधने की परम्परा सदियों से चली आ रही है।

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