प्रदेश में लगातार सड़कों पर गोवंश की संख्या बढ़ती जा रही है। इन बेसहारा गोवंशो में संकर नस्ल के गोवंश की संख्या सबसे अधिक है। यह गोवंश देशी नस्ल के गोवंश की तुलना में ज्यादा उग्र भी हैं। संकर नस्ल के बछड़े का प्रयोग कृषि कार्य में भी नहीं किया जा रहा। जिसके चलते पशु पालक गाय के दूध देना बंद कर देने के बाद इनके बछड़ों को छोड़ देते हैं। जिससे लगातार सड़कों पर बेसहारा गोवंश की संख्या बढ़ रही है।
तीन साल पहले प्रशासन ने जींद शहर में चार हजार से ज्यादा गाेवंश को पकड़ कर नंदीशाला में छोड़ा था। पिछले साल भी करीब डेढ़ हजार गोवंश को पकड़ कर नंदीशाला में छोड़ा गया।
लेकिन उसके कुछ समय बाद फिर से सड़कों पर गोवंश की संख्या में बढ़ोत्तरी हो गई। सड़कों पर लगातार बढ़ती गोवंश की संख्या एक समस्या बन चुकी है और इसके लिए सरकार की नीति के साथ साथ पशुपालक भी जिम्मेदार है।
देशी गायों की कराई जा रही है क्रास ब्रिडिंग
हरियाणा की देशी नस्ल की गाय के कम दूध देने की वजह से नस्ल सुधार के लिए विदेशी नस्ल की क्रास ब्रिडिंग कराई गई। ताकि उनसे पैदा होने वाली संकर नस्ल की बछड़ी ज्यादा दूध दें। लेकिन बछड़ियों के साथ-साथ बछड़े भी पैदा हुए। वहीं पशु चिकित्सा केंद्रों में भी अंधाधुंध तरीके से देशी गायों की क्रास ब्रिडिंग कर दी गई। जिससे संकर नस्ल के गोवंश की संख्या बढ़ गई और देशी नस्ल लुप्त होने के कगार पर आ गई।
संकर नस्ल में आती हैं अधिक बीमारियां
कृषि कार्यों में संकर नस्ल बछड़े का प्रयोग नहीं किया जाता। वहीं इस नस्ल के बछड़े-बछड़ी ज्यादा तापमान में भी नहीं रह सकते। अधिक तापमान सहने की क्षमता इनमे नहीं होती। वहीं इनमें बीमारियां भी ज्यादा आती हैं। इनको संतुलित आहार की भी जरूरत होती है।
अगर वजन के हिसाब से देखा जाए तो देशी गाय की तुलना में ये आहार भी ज्यादा खाते हैं। लेकिन मैनेजमेंट ना होने और बीमारियां आने से ये संकर नस्ल की गायें क्षमता के अनुसार दूध नहीं दे पाती। जिससे किसान इन गोवंश को सड़कों पर छोड़ देते हैं।
इन दोनों नस्ल की गायों से होता है अच्छा दूध उत्पादन
लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय हिसार के पांडू पिंडारा स्थित पशु विज्ञान केंद्र प्रभारी एवं वरिष्ठ पशु वैज्ञानिक डॉ. रमेश ने कहा कि लोगों को अब देशी और साहीवाल नस्ल की गायों की ओर ध्यान देना चाहिए।
इन दोनों नस्ल की गायों से भी अच्छा दूध उत्पादन ले सकते हैं। उन्हें संतुलित आहार दें। बछिया पैदा करने वाला सीमन भी आया हुआ है। सरकार को इस ओर भी बढ़ावा देना चाहिए। किसान गायें और बैल को बुढ़ा होने पर ना छोड़ें।