अगर आपके इरादों में जज्बा और मन में कुछ करने का हौंसला हो तो आपके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है। भारत में दिन प्रतिदिन नए नए खिलाड़ी उभर कर आ रहे हैं जो विश्व में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। बचपन में स्वस्थ पैदा हुआ हर एक बच्चा भविष्य में कुछ करने की कामना रखता है लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसे बहुत लोग हैं जो अपने जीवन में किसी दुर्घटना की वजह से दिव्यांग हो जाते हैं जिसके बाद उन्हें अपनी जिंदगी बहुत लगने लगती है।
आप किसी भी सफर को फतह कर मंजिल पा सकते हैं। आज हम ऐसे ही एक पर अथिलीट खिलाड़ी की बात कर रहे हैं जिसने अपने दोस्त को बचाते हुए अपना एक हाथ गवा दिया लेकिन उसके बावजूद जीवन में हार नहीं मानी और यह उन लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं जो किसी वजह से दिव्यांग हो जाते हैं और जिंदगी को खुद पर बाहर समझने लग जाते हैं।
ओलंपिक में नीरज चोपड़ा के सोना लाने के बाद जैवलिन थ्रोअर का नाम तो हर किसी ने जान लिया है। बचपन से स्वस्थ पैदा हुए अजीत सिंह ने वर्ष 2017 में एक हादसे में अपना हाथ गंवा दिया। दरअसल अजीत सिंह के जीवन में 2017 तक के सब कुछ सही था लेकिन एक ट्रेन हादसे में उन्होंने बहादुरी दिखाते हुए अपने एक दोस्त की जान बचाई लेकिन इसमें अपना एक हाथ गवा बैठे।
भारत का नाम रौशन करने वाले पैरा एथलीट अजीत सिंह यादव उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो अपनी दिव्यांगता को कोसते रहते हैं और आगे नहीं बढ़ते हैं। खुद को आंतरिक तौर पर मजबूत करके अजीत सिंह ने खेल में कदम रखा जहां पहले एक सामान्य मनुष्य की तरह खेलने वाले अजीत सिंह अब एक पैरा एथलीट बन चुके थे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और हादसे के 4 महीने बाद वापस मैदान में वापसी की।
अजीत सिंह भी एक जैवलिन थ्रोअर ही हैं लेकिन वो पैरा एथलीट हैं औऱ फिलहाल पैरा ओलंपिक के लिए उनका चयन हुआ है।