कुत्तों को इन्सान का सबसे खास दोस्त कहा जाता है। जहां लोग खुद की जिंदगी से जुड़े मामलों को सुलझाने में ही व्यस्त रहते हैं वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो समाज सेवा करते हैं। देश में ऐसे भी कई लोग है, जो बेसहारा कुत्तों के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर चुके हैं। राकेश ऐसा ही एक जीता-जागता उदाहरण हैं। आवारा कुत्तों को आशियाना देने के लिए उन्होंने 20 गाड़ियां और तीन घर बेच दिए।
राकेश शुक्ला बेंगलुरु में एक सफल आईटी बिजनेस चलाते हैं। मौजूदा वक्त में लोग सफलता की ओर बढ़ते चले जाते हैं जहां लोगों की सफलता के मायने गाड़ी बंगले खरीदना और पैसे कमाना ही रह गया है। राकेश ने 800 से ज़्यादा स्ट्रे यानि आवारा कुत्तों या छोड़े हुए डॉग्स के लिए फ़ार्म हाउस तैयार किया है। उनके फ़र्म में 7 घोड़े और दस गाय भी हैं।
आज उनका नाम डॉग फादर के नाम से जाना जाता है और उन्होंने पूरे विश्व में अपने इस काम के लिए काफी प्रशंसा हासिल की है। यहां किसी भी पशु को ज़ंजीरों से बांध कर नहीं रखा जाता। उनका जब मन होता है, वह स्विमिंग पूल में तैरते हैं और जब मन होता है तो फ़ार्म में मौजूद घास को चरते हैं। राकेश को इलाके के लोग कुछ इस तरह पहचानते हैं कि बेसहारा कुत्तों को बचाने के लिए उन्हें ही याद करते हैं।
आवारा कुत्तों की रक्षा के लिए एक अलग से फार्म हाउस तैयार किया। बीते एक दशक से लोग उन्हें आवारा कुत्तों के लिए किए गए उनके सराहनीय प्रयासों के लिए अधिक जानते हैं। राकेश जिन कुत्तों को पाल रहे हैं, उनमें सिर्फ गली-मोहल्लों में घूमने वाले कुत्ते नहीं हैं। उनके पास ऐसे भी कुत्ते हैं, जो कभी मंगलौर पुलिस में अपनी सेवा दे चुके हैं। फ़ोर्सेस में रह चुके डॉग्स एक उम्र के बाद कम एक्टिव होने की वजह से उन्हें अलग रख दिए जाते हैं। इन डॉग्स को मारा नहीं जा सकता, इसीलिए उन्हें डॉग हाउस में रख दिया जाता है, जिसमें राकेश मदद करते हैं।
इस काम के लिए उन्हें काफी कुछ सहना पड़ा लेकिन हिम्मत नहीं हारी और आज दुनिया के लिए एक मिसाल बन कर सामने आए हैं।