दुनियाँ में कई ऐसी चीजें होती हैं, जिन्हें सुनकर जल्दी विश्वास नहीं होता है। भारत में थाइरॉयड टेस्ट को लोगों की पहुंच तक बनाने का श्रेय किसी को दिया जाता है तो वह हैं अरोकिस्वामी वेलुमणी। अरोकिस्वामी वेलुमणी को डायगनॉस्टिक किंग कहा जाता है। उन्होंने भारत में थाइरॉयड को लेकर सभी को जागरुक किया है।
कई ऐसे लोग होते हैं, जिनकी कहानी लोगों को आगे बढ़ने और किसी भी मुसीबत का सामना करने की प्रेरणा देती हैं। वह थाइरॉयड टेस्ट कराने में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी थाओकायर टेक्नोलॉजिस लिमिटेड के मालिक हैं। थाइरॉयड के अलावा उनकी कंपनी ब्लड के द्वारा बाकि टेस्ट भी करवाती है। इस कंपनी के भारत में 100 से भी ज्यादा आउटलेट्स हैं, और इसके अलावा नेपाल, बांग्लादेश और मध्य पूर्वी देशों में भी थाओकेयर के कई आफटलेट्स हैं।
पिता ठेके पर खेतों में काम करते थे। मां दूध बेचकर पूरे महीने में 50 रुपये जोड़ती थी। इतने नामी साइंटिस्ट और व्यवसायी का जीवन हमेशा से इतना सफल नहीं था। एक वक्त ऐसा भी था जब उनके मां-बाप उनको चप्पल तक खरीद के दे पाने में असमर्थ थे। अरोकिस्वामी तमिल नाडु में काफी गरीब परिवार में जन्में थे। उनके माता-पिता उनके लिए मूलभूत चीचें भी ला नहीं पाते थे। उन्होंने अपनी स्कूलिंग और ग्रेजुएशन सरकारी पैसों से पूरी की है।
गरीबी ऐसी की नंगे पैर स्कूल जाना पड़ता था। केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने केमिस्ट की एक छोटी सी नौकरी करनी शुरु कर दी जिसमें उन्हें महीने के केवल 150 रुपये मिलते थे। कुछ सालों में कंपनी बंद हो गई और वह बेरोजगार हो गए। लेकिन इस घटना को वह अपने लिए मौका मानते हैं। कंपनी बंद होने के बाद उन्होंने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में लैब असिस्टेंट के लिए अप्लाई किया और उन्हें नौकरी मिल भी गई। भाभा में करते वक्त ही उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई की और साइंटिस्ट बने। 14 साल तक भाभा में काम करने के बाद अरोकिस्वामी ने अपनी कंपनी खोलने की सोची। उनकी बीवी उनकी पहली कर्मचारी थीं।
समय बदलते कभी वक्त नहीं लगता। अक्सर आपने ऐसे लोगों के बारे में किताबों में पढ़ा होगा या उनपर बनी किसी फिल्म को देखा होगा।