प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला यूं तो हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं। लेकिन इस बार उनकी सुर्खियों में बने रहने की वजह युवाओं के लिए एक सीख व उदाहरण है। चौटाला पढ़ाई से वंचित लोगों के लिए एक मिशाल बन गए हैं। 86 साल की उम्र के इस पड़ाव पर उनका पढ़ाई के प्रति लगाव व जज्बा लोगों के एक प्रेरणादायक है। उन्होंने जेल में करीब साढ़े 9 साल की सजा के दौरान खाली समय में पढ़ाई कर, कक्षा 10वीं की परीक्षा पास की तथा अब उन्होंने कक्षा 12वीं की परीक्षा दी है, जिसका परिणाम आना अभी बाकी है। परिणाम आने के बाद वे स्नातक की पढ़ाई भी करेंगे।
हरियाणा एवं राजस्थान की सीमा पर सिरसा के डबवाली उपमंडल में गांव चौटाला की आबादी करीब 20 हजार है। 20 हजार की आबादी वाले इस गांव में दूर – दूर तक केवल खेत – खलियान ही दिखाई पड़ते हैं। गांव में 2 स्टेडियम, दो बैंक, एक हॉस्पिटल व एक आईटीआई और तीन स्कूल हैं, जोकि गांव के वीआईपी होने की कहानी बयां करते हैं। ताऊ के नाम से जाने जाने वाले प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल व उनके बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला इस गांव की देन हैं। देवीलाल के पूर्वज वर्ष 1919 में राजस्थान में आकर बसे थे।
चौधरी देवीलाल ने दो बार व उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला ने पांच बार हरियाणा की सत्ता को संभाला है। ओमप्रकाश का जन्म एक जनवरी 1936 को हुआ था, उनके पिता उन्हें ओम कहकर बुलाते थे। ओमप्रकाश ने अपनी शुरुआती शिक्षा चौटाला गांव से साढ़े तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्रामोत्थान विद्यापीठ संगरिया से प्राप्त की। वे वहीं के एक हॉस्टल में रहते थे। उन दिनों पानी की किल्लत के कारण सभी बच्चों को पेड़ों के नीचे बैठ नहाने के लिए कहा जाता था,
ताकि पेड़ों को भी पानी प्राप्त हो सके व बच्चे भी नहा सके। आठवीं तक की पढ़ाई उन्होंने डबवाली के हाई स्कूल से पूरी की। उस समय केवल उतनी ही पढ़ाई को प्रयाप्त माना जाता था। ओम शुरुआत से ही अपने पिता देवीलाल के साथ राजनीति में सक्रिय बने रहे, इसलिए उन्हें पड़ने की ज्यादा जरूरत भी महसूस नहीं हुई।
2 सितंबर 1989 को ओमप्रकाश पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। बता दें कि अभी तक उनसे ज्यादा बार कोई भी हरियाणा का मुख्यमंत्री नही रह सका है। वर्ष 2005 में सत्ता से बाहर होने के बाद उन्होंने अपनी पगड़ी छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला के सिर पर रखी। ओम ने सिरसा के एक जिले के सरकारी स्कूल से हाल ही में कक्षा 10वीं का अंग्रेजी का पेपर दिया है, जिसमें वे उत्तीर्ण नहीं हो पाए थे। इसके कारण उनका 12वीं का प्रणाम भी आना अभी बाकी है। ओपन बोर्ड से उन्होंने 12वीं की परीक्षा दी थी।
परिस्थितियां चाहें जो भी रही हों, ओमप्रकाश चौटाला के चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनी रही है। जब वे 10वीं की परीक्षा देने सिरसा के सेंटर पहुंचे तो मन में सवाल उठा कि उम्र के इस पड़ाव में आखिर क्यों इन्हें परीक्षा देने की जरूरत पड़ गई ? न मुख्यमंत्री पद के लिए और न ही उन्हें विधायक या सांसद पद के लिए इसकी जरूरत है। सवाल यह भी उठा कि वे लगातार पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे,
इस दौरान उन्होंने आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के साथ कैसे राज चलाया होगा ? कहीं पढ़े लिखे अफसरों ने उनका फायदा तो नही उठाया होगा ? इन अनेकों सवाल के जवाब चौटाला से जाने तो उनकी पैनी नजर के साथ साथ पिता के साथ बिताया समय का अनुभव उनके काम आया।
अगले कुछ दिनों में उनका 12वीं का परिणाम घोषित होने के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखने का इरादा जाहिर किया है। परिणाम आते ही वे ओपन बोर्ड से स्नातक की पढ़ाई करेंगे। 86 साल की उम्र में उनका पढ़ाई के लिए जज्बा उन नौजवानों के लिए संदेश है जिन्होने कभी अपनी पढ़ाई लिखाई को महत्व नहीं दिया। चौटाला बताते हैं की राज चलाते समय उनके कभी कोई भी परेशानी नहीं हुई। वे कहते हैं की मुझे अंग्रेजी आती है, हिंदी आती है और पंजाबी भी मैं जानता हूं। मैं प्रत्येक फाइल को अच्छे से पड़कर ही अप्रूव करता था।
उस समय मेरे पास पढ़ने का न तो समय था और न ही जरूरत। लेकिन जेल में सारा समय खाली रहता था, तो मन में पढ़ने का विचार आया। उन्होंने बताया कि जेल में वे अखबार, मैगजीन और अन्य किताबों को पढ़ते थे। जेल में रहकर उन्होंने 10वीं की परीक्षा दी तथा जेल से बाहर आने के बाद 12वीं की परीक्षा दी है। अब उनकी आगे स्नातक की पढ़ाई करने की भी इच्छा है, ताकि कोई यह न कह सके कि हरियाणा का 5 बार मुख्यमंत्री रहा व्यक्ति केवल आठवीं पास था।
चौटाला के ओएसडी रहे तत्कालीन आईएएस अधिकारी अरे चौधरी का कहना है कि सीखने की कोई भी उम्र नहीं होती। 86 साल की उम्र में चौटाला एक प्रेरणा स्त्रोत हैं। उन्होंने कहा कि जब चौटाला मुख्यमंत्री थे तब तब अधिकारियों से नियमित ब्रीफिंग लिया करते थे। पूरे प्रदेश में भ्रमण करने की वजह से और समस्या तथा सामाजिक राजनीतिक पहलू से वे वाकिफ थे तथा कोई भी अधिकारी उन्हें बरगला नहीं सकता था। अपने अनुभव, योग्यता एवं लोकप्रियता की बड़ीलत ही वे सात बार एमएलए तथा पांच बार सीएम रहे। तीन उपचुनाव भी उन्होंने जीते। उनके छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला की भी यही खासियत है। भाजपा के बिजली व जेल मंत्री उनके छोटे भाई रणजीत चौटाला कहते हैं कि भाई साहब की प्रत्येक मसले पर अच्छी पकड़ थी।
राजनीतिक रूप से गांव चौटाला बेहद ही उर्वरा है। चौटाला गांव से ताल्लुक रखने वाले देवीलाल परिवार के पांच विधायक इस बार की विधानसभा में गए। तीन कृषि कानूनों के विरोध में उनके पोते अभय चौटाला विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा से चुके हैं तथा इस समय वे प्रदेश की राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय हैं। ओम के बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला व पुत्र दुष्यंत चौटाला इस बार विधायक बने हैं। दोनों ही बेटे भाजपा सरकार में साझीदार हैं। ओम प्रकाश चौटाला के छोटे भाई रणजीत सिंह भी रानियां से निर्दलीय विधायक चुनकर सरकार में बिजली व जेल मंत्री हैं। इसी परिवार के डॉक्टर केवी सिंह के बेटे अमित सिहाग भी डबवाली से कांग्रेस की टिकट से विधायक हैं।