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इस फसल से होगी लाखों की कमाई, अब किसानों की होगी बल्ले–बल्ले

किसानों को समय के साथ साथ पारंपरिक खेती के अलावा कुछ नया प्रयोग भी करना चाहिए। मिट्टी की गुणवत्ता के अनुसार ही फसल की बुआई करनी चाहिए। ऐसा करने से किसानों को मुनाफा भी ज्यादा होता है। ऐसे ही नए–नए प्रयोग राधेश्याम भारद्वाज अपने खेतों में करते हैं। मदीना के किसान राधेश्याम ने नया प्रयोग करते हुए एक ऐसी फसल लगाई है, जिसके हर हिस्से से केवल मुनाफा ही होगा। उन्होंने एक औषधीय पौधे खस की फसल लगाई है।

किसान राधेश्याम ने बताया कि इस पौधे की जड़ से लेकर तने व पत्तों तक से मुनाफा होता है। बता दें कि यह एक औषधीय पौधा है। इसका तेल बाजार में 30 से 60 हजार रुपये प्रति लीटर तक बिकता है। जबकि तना व पत्ते आदि भी बाजार में आसानी से बिक जाते हैं।

इस फसल से होगी लाखों की कमाई, अब किसानों की होगी बल्ले–बल्लेइस फसल से होगी लाखों की कमाई, अब किसानों की होगी बल्ले–बल्ले

पौधों पर कीटनाशक छिड़कने की भी जरूरत नहीं

इस पौधे को तैयार होने में करीब डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इस पौधे को न तो किसी कीटनाशक स्प्रे की जरूरत होती है और न ही इसे पशु खाते हैं। ऐसे में यह पौधा किसानों के लिए काफी सुरक्षित और लाभदायक साबित हो सकता है।

अधिकारियों ने दिया औषधीय पौधों की खेती का सुझाव

किसान राधेश्याम ने बताया कि करीब तीन साल पहले उन्हें खेती में प्रयोग करने का सोचा। इसके लिए उन्होंने बागवानी विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया तो अधिकारियों ने उन्हें औषधीय पौधों की खेती करने का सुझाव दिया।

उनको यह सुझाव काफी पसंद आया और उन्होंने गांव की मिट्टी में नया प्रयोग करते हुए खस की खेती करने की ठानी।

जांच पड़ताल कर 15 एकड़ में लगाई खस की फसल

यूपी के बरेली में राधेश्याम भारद्वाज ने खस की खेती करने वाले किसानों से बातचीत की। दिल्ली में इसके लिए उन्होंने मार्केट की नब्ज भी टटोली। जब उन्हें सब कुछ सही लगा तो उन्होंने दिसंबर 2019 में अपने गांव में ही 15 एकड़ में खस की फसल लगाई। एक एकड़ में उनको करीब 35 हजार रुपये खर्च आया। खस के पौधे वे यूपी के बरेली से ही खरीद कर लाए थे। लेकिन अब वे इनसे खुद ही पौधे तैयार करेंगे।

मुनाफा बढ़ाने के लिए गाजर व मूली की भी फसलें लीं

इस फसल के साथ–साथ उन्होंने गाजर व मूली की भी फसलें ली। जिससे उनके मुनाफे में बढ़ोत्तरी हुई। हालांकि महामारी के कारण वे फसल की देखभाल उचित प्रकार से नहीं कर पाए। जिस कारण फसल में खरपतवार बढ़ गया है और इसे निकाला जा रहा है।

साल के अंत में खस की कटाई के बाद वे फिर से इसमें खस लगाएंगे। वे अब दूसरे किसानों को भी औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। दूसरी ओर, बागवानी विभाग के अधिकारी भी किसान राधेश्याम की सराहना कर रहें हैं।

मिट्टी की गुणवत्ता के अनुसार लगाएं फसल

रोहतक के जिला बागवानी अधिकारी डॉ. हवा सिंह ने बताया कि जिले के मदीना गांव निवासी किसान राधेश्याम ने खस की खेती शुरू की है। खस औषधीय पौधों में से एक है और इसकी खेती से किसान को काफी मुनाफा हो सकता है।

अन्य किसानों को भी मिट्टी की गुणवत्ता अनुसार ही बागवानी फसल लगाकर लाभ बढ़ाना चाहिए। विभाग की ओर से किसानों को लगातार प्रोत्साहित भी किया जा रहा है।

Avinash Kumar Singh

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Avinash Kumar Singh

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