बचपन में बच्चे बड़े ही शैतान होते हैं और ज्यादातर खेलना कूदना ही पसंद करते हैं। किसी भी बच्चे के लिए बचपन का समय काफी महत्वपूर्ण होता है, इस उम्र में बच्चे शरारत तो करते ही है। इसके साथ-साथ वो अपने माता पिता और घर के बुजुर्गो से संस्कार भी लेते है। मां-बाप सीने पर पत्थर रखकर बच्चे को महज 8 साल में ही अपने से दूर भेज दिए थे, जो साल 2018 में घर लौटे तो आईएएस बनकर। उनका रूतबा देख मां-बाप तो क्या पूरा गांव ही दंग रह गया था।
बचपन में काफी बार बच्चे ऐसे कदम उठा लेते हैं जो उन्हें एक अलग रास्ते पर ले जाते हैं वह रास्ता कभी अच्छा तो कभी बुरा हो सकता है। सुमित कुमार के पिता का नाम सुशील कुमार वर्णवाल है और उनकी मां का नाम मीना देवी है। देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा के लिए उनका चयन होने पर उनके परिवार के साथ ही इलाके के लोग भी काफी खुश थे।
कुछ बच्चे बचपन से ही दुनिया में अपना नाम बनाने की सोच लेते हैं और इसके बाद वह इसी नाम को पाने के लिए मेहनत करने लगते हैं। सुमित कुमार ने 8 साल की उम्र में ही पढ़ाई के लिए घर छोड़ दिया था। गांव में अच्छे स्कूल नहीं थे इसलिए छोटी उम्र से उन्होंने बाहर रहकर पढ़ाई की। पर उस समय कौन जानता था कि यह लड़का एक आईएएस अफसर बन कर वापस आएगा।
कई बार इंसान को बचपन की सीख जीवन में काफी काम आती है। पर सभी बच्चों का बचपन हमेशा एक सा हो ये बिलकुल भी जरुरी नहीं है। सुमित ने 2007 में मैट्रिक और 2009 में इंटर की परीक्षा पास की। 2009 में ही उनका चयन आईआईटी के लिए हुआ और उन्होंने आईआईटी कानपुर से बीटेक की पढ़ाई पूरी की।
कुछ बच्चों का पढ़ाई के प्रति इतना जज्बा होता है कि वह घर से दूर रहकर भी स्कूल जाना चाहते हैं। सुमित कुमार को 2017 की यूपीएससी परीक्षा में 493वीं रैंक मिली थी और डिफेंस कैडर मिला था। उन्होंने दोबारा यूपीएससी परीक्षा दी और साल 2018 में 53वीं रैंक के साथ टॉप करके इतिहास रच दिया। उनके अफसर बनने की खुशी से परिवार के सदस्य बहुत खुश हुए थे। वो अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को ही देते हैं जिन्होंने उनके उज्जवल भविष्य के लिए कड़े फैसले लिए।