भारत में महामारी की दूसरी लहर के दौरान लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। पिछले दो सालों से लोग निरंतर जंग लड़ रहे हैं। लाखों परिवारों के जहन में अपनों से बिछड़ने डर बैठ गया है। जारों लोग घर से बेघर हो गए हैं। हजारों लोगों ने संसाधनों के अभाव में दम तोड़ा है। जिसे लोग भूला नहीं पाए हैं। आज जिस महिला की हम बात कर रहे हैं उनकी मां ने भी महामारी की सैकेंड लहर में ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ दिया है।
महामारी की दूसरी लहर के सामने लोगों की हिम्मत जवाब देने लगी। उसी समय महिला ने संकल्प लिया था कि वह कुछ ऐसा करेगी जिससे वह दूसरे मरीजों की मदद कर सके। उसी संकल्प को पूरा करते हुए महिला ने ऑक्सीजन ऑटो का निर्माण कराया। साथ ही ऑक्सीजन ऑटो की वजह से लगभग 800 लोगों की जान बचाई जा सकी।
महिला की दरियादिली सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। साथ ही यूजर्स की प्रतिक्रियाएं भी शानदार आ रही हैं। कई लोगों को ऑक्सीजन की आवश्यकता हुई थी और कई लोगों की ऑक्सीजन की कमी से जान भी चली गई थी। चेन्नई की रहने वाली 37 वर्षीय सीता की 65 वर्षीय मां विजया किडनी की बीमारी से जूझ रही थी। सैकेंड लहर के दौरान सीता की मां भी संक्रमित हो गई।
ऑक्सीजन की कमी से अस्पताल, सड़कों और फुटपाथों पर मरते लोगों की तस्वीरें डरा रही थीं। सीता मां को लेकर राजीव गांधी जिला अस्पताल पहुंची। लेकिन वहां ऑक्सीजन बैड़ खाली नहीं था। जिसके चलते अस्पताल स्टाफ उन्हे बाहर वेट करने को कहा। सीता ने बताया कि ऑक्सीजन के लिए उन्हे 12 घंटे तक इंतजार करना पड़ा था। उधर मां की तबियत लगातार बिगड़ती जा रही थी। अचानक मेरी मां ने हॅास्पिटल के बाहर ही दम तोड़ दिया।
लोग ऑक्सीजन सिलेंडर के इंतजाम में दर-दर भटकते नजर आए। यदि उन्हे यदि ऑक्सीजन मिल गई होती तो उनकी जान बच जाती।