अधिकांश खिलाड़ियों ने जगमगाया देश का नाम, मगर ग्रामीणों में नहीं है सुविधाओं का नामोनिशान

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विश्व स्तर पर पैर पसार चुका संक्रमण काल डेढ़ साल बाद भी तीसरी वेब के साथ एक बार फिर तबाही मचाने को तैयार हैं। ऐसे में देश भर में डेढ़ सालों तक दुनिया को ऐसे ऐसे नजारें दिखाएं जिसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। इतना नही इतिहास को भी इस बीमारी ने पलट कर रख दिया था। गौरतलब,हाल ही में जापान के टोक्यों में बीते वर्ष के लिए प्रस्तावित ओलंपिक संपन्न कराए गए। भारत ने पहली बार ओलंपिक में सर्वाधिक सात मेडल अपने नाम किए।

बताते चलें कि संक्रमण के कारण जिंदगी व खेल अभ्यास थमने के बावजूद यह कीर्तिमान स्थापित हुए थे। इतना ही नहीं आलम यह था कि देश की प्रतिभाओं से खेलों में नाम कमाने की उम्मीद कई गुना बढ़ गई है।

अधिकांश खिलाड़ियों ने जगमगाया देश का नाम, मगर ग्रामीणों में नहीं है सुविधाओं का नामोनिशान

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए जिला व खंड और ग्रामीण स्तर पर खिलाड़ी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। इसके प्रति सरकार और सिस्टम भी अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हालांकि, जिलेभर में भी यह स्थिति है कि काफी हद तक सुविधाएं विकसित हुई हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में अब भी सुविधाओं की दरकार है।

फिलहाल उक्त सुविधाओं से परिपूर्ण हैं

बता दें कि जिले के प्रशासनिक गढ़ सेक्टर-12 में खेल परिसर है। यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर का इंडोर खेल स्टेडियम बनकर तैयार हुआ है। इसकी क्षमता के अनुसार एक बार में ही यहां करीब 12 हजार लोग बैठ सकते हैं। यहां रविवार को ही तीन दिवसीय राज्य स्तरीय खेल संपन्न हुए हैं। यहां खेल कोच सहित तमाम सुविधाएं मौजूद हैं। खेलों प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए प्रयास जारी हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं जिले में मौजूद हैं। राज्य स्तरीय खेल आयोजित किए जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में भी विकास किया जाएगा।

  • एथलेटिक्स : सेक्टर-30 में इंडोर स्टेडियम निर्माणाधीन है। यह भी अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा होगा। क्षमता के लिहाज से करीब 12 हजार लोग एक बार में यहां खेलों का लुत्फ उठा सकते हैं।
  • क्रिकेट : करीब पचास हजार दर्शकों की क्षमता के साथ राजा नाहर सिंह क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्तर के खेल मैैदान को अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ बनाया जा रहा है।
अधिकांश खिलाड़ियों ने जगमगाया देश का नाम, मगर ग्रामीणों में नहीं है सुविधाओं का नामोनिशान

शूटिंग रेंज : सेक्टर-12 में शूटिंग रेंज स्थापित की गई है। हालांकि, हर डिस्टेंस का टारगेट यहां फिलहाल मौजूद नहीं है। ऐसे में खिलाड़ी निजी शूटिंग रेंज व दिल्ली स्थित करणी सिंह शूटिंग रेंज का भी रुख करते हैं। निजी स्तर पर मानव रचना शिक्षण संस्थान, बल्लभगढ़ में यह सुविधा है।

तैराकी- क्रिकेट में नहीं कोच कई खेलों में मिले नए प्रशिक्षक

  • क्रिकेट व तैराकी- कोच नहीं, पुराने कोच के हटने के बाद नए की नियुक्ति नहीं
  • एथलेटिक्स सहित जिमनास्टिक, कुश्ती, बॉलीवॉल, बैडमिंटन, टेबल टेनिस के कोच मिले
  • जिला स्तर पर फुटबॉल के दो, बास्केटबॉल के दो कोच तैनात किए गए हैं।
अधिकांश खिलाड़ियों ने जगमगाया देश का नाम, मगर ग्रामीणों में नहीं है सुविधाओं का नामोनिशान

ग्रामीण प्रतिभाओं को नहीं आधारभूत सुविधाएं
जिले में ग्रामीण स्तर पर खेल सुविधाओं का टोटा है। जिला स्तर पर अर्बन क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो ग्रामीण तबके पर सरकार व सिस्टम उदासीन है। हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड ने 10-11 साल पहले ग्रामीण क्षेत्र में खेल प्रतिभाओं को आगे लाने के उद्देश्य से राजीव गांधी ग्रामीण खेल परिसर तैयार किए थे। गांव तिगांव, अटाली और फतेहपुर बिल्लौच में स्टेडियम बनाए गए। इसके अलावा शाहपुर कलां में शहीद चंद्रशेखर आजाद ग्रामीण स्टेडियम मौजूद है। हालांकि सुविधाओं के नाम पर न जमीनी स्तर पर कोई सुविधा है न ही कोच ही इन परिसरों में तैनात हैं। इससे ग्रामीण प्रतिभाएं आगे आने के लिए रास्ता नहीं तलाश पाती।

अधिकांश खिलाड़ियों ने जगमगाया देश का नाम, मगर ग्रामीणों में नहीं है सुविधाओं का नामोनिशान

रैकेट कोच, बैडमिंटन और टेबल टेनिस की सुविधाएं अच्छी हैं। निजी और राजकीय स्तर पर सुविधाएं मौजूद हैं। जिमनास्टिक और ऐथलेटिक्स का दायरा बढ़ा है। खेल के लिहाज से जिले में सुविधाएं हैं। युवाओें व बच्चों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। ग्रामीण क्षेत्र में ध्यान दिया जाए तो ओलंपिक स्तर के खेलों में सात नहीं सत्तर मैडल लाने की क्षमता विकसित होगी।

सुविधाएं हैं, कुछ खेल व्यवसायिक हो गए हैं। आज के समय में तैराकी का कोच नहीं है। सब कुछ सुविधाएं होने के बावजूद प्रशिक्षक की कमी को पूरा नहीं किया हो सकता है। खेलों की प्रतिभा ग्रामीण क्षेत्र में ही बसी है, वहां ध्यान देने की जरूरत है। बीते करीब 20 वर्षों में खेलों को समझने के बाद लगता है प्रतिभाएं सुविधाओँ के अभाव में दम तोड़ती हैं। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।