मूलभूत सुविधाओं में जिस तरह पानी, सीवर, नाली निकासी को शामिल किया जाता हैं। उसी तरह से समस्याएं ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे अहम समस्या बिजली संकट है। जिसे कई वर्षों तक चुनावी मुद्दों में जोरों शोरों से उठाया जाता है, और गांव में विकास के साथ-साथ अंधेरे को दूर कर प्रकाश को लाने की बात कही जाती है। वहीं सबसे अहम रहा है कि जिस तरह
बिजली के करंट ने कई सरकारें बनाई तो वहीं कई सरकारें गिराईं भी हैं।
एक समय था जब एक धारणा बेहद प्रचलन में थी, कि जो डरता है, वही बिल भरता है, जो नहीं डरता, बिल नहीं भरता। मगर जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है वैसे वैसे टेक्नोलॉजी के साथ-साथ लोगों की सोच में भी तीव्रता से बदलाव आ रहे हैं। अब लोगों का समाज में रहने के अलावा विचार करने का भी तरीका बदल रहा है।
जिस तरह बीते कुछ सालों में बिजली बिल भरने को लेकर युवा पीढ़ी में जागरूकता देखी गई तो वहीं अब रिश्तों से पहले लड़कियां पूछती हैं कि गांव में 24 घंटे बिजली आती है। अगर नहीं, तो रिश्ता भी नहीं, शादी तो दूर की बात है। लड़कियां साफ तौर पर लड़कों को कह रही हैं कि गांव में दिन-रात बिजली आती होगी तभी शादी करेंगी। पहले 24 घंटे बिजली लाओ फिर रिश्ते की बात करना।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गांवों में आए बदलाव के ये किस्से सोमवार को साझा किए। चंडीगढ़ में उन्होंने बताया कि बीते दिनों वह टोक्यो ओलंपिक के पदक विजेता रवि दहिया के गांव नाहरी गए थे। कार्यक्रम में एकत्रित भीड़ से उन्होंने पूछा कि गांव में बिजली आती है, तो सभी चुप हो गए। उन्हें समझते देर नहीं लगी कि बिजली बिल नहीं भरते होंगे, इसलिए बिजली नहीं आती। उन्होंने पूछा बिजली चाहिए, ग्रामीणों ने कहा हां, चाहिए।
इस पर उन्होंने कहा कि बिजली बिल भरोगे। उन्होंने हां में जवाब दिया। इस पर उनसे पूछा कि कितना बकाया बाकी है। ग्रामीणों ने कहा कि 20 लाख रुपये तो जुर्माना ही है। इस पर उन्होंने तुरंत घोषणा कर दी कि जुर्माना माफ, मूल बिजली समान किश्तें बनाकर भर दें। इसके लिए वे राजी हो गए। सीएम ने कहा कि बिजली बिल भरना शुरू करें, 24 घंटे बिजली वह दिलाएंगे।
अगर यह कहे कि बिजली आने के साथ-साथ लोगों के विचारों में भी बदलाव आ गए हैं तो ऐसा कहना कतई उचित नहीं होगा। यह कदम समाज के लिए प्रेरणादायक भी साबित हो रहा है कि लड़कियां अब अपने हक के लिए लड़ना भी जानती है और दूसरों को प्रेरित करने के लिए इस तरह के प्रश्न कर समाज को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने में भी अहम भूमिका निभा रही है।