होटल में काम करके और बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर बनी आईपीएस ऑफिसर, आँखें नम कर देगी इनकी कहानी

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     होटल में काम करके और बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर बनी आईपीएस ऑफिसर, आँखें नम कर देगी इनकी कहानी

    भारत में सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी की मानी जाती है। हरियाणा की रहने वाली पूजा यादव ने एम. टेक करने के बाद कनाडा और जर्मनी में जॉब किया है। ज्यादातर युवाओं की ख्वाहिश होती है कि उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद विदेश में जॉब लग जाए और जमकर कमाई हो। एक बार विदेश में अच्छी नौकरी लगने के बाद हर कोई वहीं पर सेटल हो जाना पसंद करता है, मगर इस मामले में पूजा यादव कहानी जरा हटकर है।

    कुछ लोगों का कहना है कि यूपीएससी की परीक्षा सबसे आसान होती है बस इंसान के दिमाग के कंसेप्ट सही होनी चाहिए। पूजा यादव विदेश से नौकरी छोड़कर हिंदुस्तान लौटीं और यूपीएससी की तैयारियों में जुट गईं। आज पूजा यादव देश की काबिल आईपीएस हैं। गुजरात पोस्टेड हैं। मूलरूप से हरियाणा की रहने वाली हैं। पूजा यादव की सक्सेस स्टोरी युवाओं को प्रेरित करने वाली है।

    होटल में काम करके और बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर बनी आईपीएस ऑफिसर, आँखें नम कर देगी इनकी कहानी

    आपको एक ऐसे ही महिला के बारे में बताते हैं जिसने होटल में रिसेप्शनिस्ट का काम करके और बच्चों को ट्यूशन पढ़ा पढ़ा करें काफी मेहनत की हम बात कर रहे हैं पूजा यादव की। बता दें कि 20 सितंबर 1988 को जन्मी पूजा यादव का बचपन हरियाणा में बीता। पूजा यादव ने गोधरा की एसपी डॉ. लीना पाटिल के अंडर में अपनी ट्रेनिंग पूरी की थी। ट्रेनिंग के बाद इन्हें सितम्बर 2020 में गुजरात के बनासकांठा जिले के थराद में एएसपी के रूप में पहली पोस्टिंग मिली। ये थराद में नियुक्त होने वाली पहली महिला आईपीएस हैं।

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    विदेश में अपने नौकरी छोड़कर भारत आकर देश सेवा करने का फैसला किया। पूजा यादव की फैमिली की आर्थिक स्थित बहुत अच्छी नहीं है। पूजा ने रिसेप्शनिस्ट का काम करके और बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर एमटेक की पढ़ाई का खर्च निकाला। बायो टेक्नोलॉजी में इंडिया में जॉब के अवसर कम मिलने पर पूजा विदेश चली गईं। कनाड़ा और जर्मनी में जॉब किया।

    होटल में काम करके और बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर बनी आईपीएस ऑफिसर, आँखें नम कर देगी इनकी कहानी

    पूजा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई हरियाणा से ही पूरी की है। पूजा कहती हैं कि जब वे जर्मनी में जॉब कर रही थीं तो उन्हें अहसास हुआ कि वे जर्मनी के विकास में योगदान दे रही हैं जबकि वे देश के लिए कुछ करना चाहती थीं। ऐसे में जॉब छोड़कर इंडिया आई और यूपीएससी की तैयारियों में जुट गईं।