फरीदाबाद की नई पहचान की वजह बना रहे पैरालंपिक खिलाड़ी, गर्व से फूले नही समा रहे शहरवासी

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 फरीदाबाद की नई पहचान की वजह बना रहे पैरालंपिक खिलाड़ी, गर्व से फूले नही समा रहे शहरवासी

फरीदाबाद जिले ने वैसे तो अनेकों क्षेत्रों में नाम कमाकर पहचान बनाई हुई है। लेकिन अब फिलहाल चल रहे पैरालंपिक खेलों विजेता के रूप में उभर रहे शहर के खिलाड़ियों के कारण और एक अलग क्षेत्र “खेलों के क्षेत्र” में भी फरीदाबाद की पहचान बन रही है।

जहां अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम की वजह से फरीदाबाद की पहचान होती थी, वहीं अब जिले की पहचान खिलाड़ियों की वजह से होगी। हाल ही में चल रहे पैरालंपिक खेल फरीदाबाद के लिए ऐतिहासिक रहा है। जिले के खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने के साथ – साथ ओलंपिक में नाम कमाया है।

फरीदाबाद की नई पहचान की वजह बना रहे पैरालंपिक खिलाड़ी, गर्व से फूले नही समा रहे शहरवासी

बता दें कि वेटलिफ्टिंग में पहला गोल्ड लेने वाली साउथ की कर्णम मल्लेश्वरी ने भी फरीदाबाद में रहते हुए ही ओलंपिक गोल्ड अपने नाम किया था। उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों को भी जिले का नाम लेते हुए याद किया था। इस बार संघर्ष व खुशी के साथ जिला का नाम पैरालंपिक में सिंहराज और मनीष के साथ लिया जाएगा।खिलाड़ियों को उम्मीद है कि ओलंपिक में नाम दर्ज कराने के बाद जिले में खिलाड़ियों की पौध की झड़ी लगेगी।

हरियाणा मानव अधिकार आयोग के वर्तमान सदस्य व स्पोर्ट्स काउंसिल के पूर्व सचिव दीप भाटिया का कहना है कि जिले में खिलाड़ियों और खिलाड़ियों की प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। ओलंपिक में मेडल जीतने की दावेदारी फीकी रही, जिसकी क्षतिपूर्ति पैरालंपिक में इस बार मनीष और सिंहराज अधाना ने की।

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हरियाणा का एकमात्र स्तर का क्रिकेट स्टेडियम पहले जिले में था। केवल इस सुविधा के बूते ही इसे क्रिकेट से जोड़ कर देखा जाता रहा, जबकि यहां खिलाड़ी अन्य विधाओं से भी उभरे।

दीप भाटिया ने बताया कि दिल्ली के समीप होने एवं स्टेडियम सुविधाएं होने के कारण जिले में अब स्कोप बढ़ा है। अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी भी नए स्टेडियमों में पनपेंगे। शूटिंग खिलाड़ी भी अधिकतर जिले से ही निकले हैं।

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एस्ट्रोटर्फ (हॉकी के लिए) का मैदान सेक्टर-12 में बनाया गया है तथा बैडमिंटन और फुटबॉल का भी स्कोप है। इसके अलावा तैराकी की संभावनाएं भी युवाओं के साथ बढ़ रही हैं। यही प्रतिभाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिले की छवि को उभारेंगी।

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दो बार एशियन गेम्स विजेता बन कर उभरे भूपेंद्र सिंह बताते हैं कि पहली बार जिले में किन्हीं दो खिलाड़ियों ने ओलंपिक स्तर पर पदक जीता है। यही संभावनाओं का भी विस्तार है। सिंहराज अधाना के गांव में भी शूटिंग रेंज बनवाकर भावी खिलाड़ियों को योगदान दिया जा सकता है।