ऐसे ही अब भारत में जो टीकाकरण अभियान तेजी से चलाया जा रहा है लेकिन इसी के चलते महाराष्ट्र,बंगाल, मैं कुछ जगह पर नकली वैक्सीन के मामले सामने आने लगे हैं और मामले पर सरकार प्रशासन के साथ-साथ आम जनता जागरूक कर रहे हैं। इसी के चलते भारत में लगाए जाने वाले टीके कोविशील्ड, कोवैक्सिन,स्पूतनिक-वी पहचानने के लिए गाइडलाइन जारी कर दी गई है।
टीका असली या नकली पहचानने में शायद थोड़ी देर लगे लेकिन टीका उपलब्ध कराने का काम देख रहे प्रशासन के लोगों को गाइडलाइन से जरूर मदद मिलेगी। अतिरिक्त सचिव मनोहर अगनानी की तरफ से केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों के सभी अतिरिक्त मुख्य सचिवों और प्रधान सचिवों के लिए पत्र लिखा। उन्होंने इस पत्र में कहा कि वैक्सीन इस्तेमाल से पहले उसे सावधानीपूर्वक प्रमाणित करने की जरूरत है साथ ही बताया कि ऐसे है वैक्सीन को आसानी से पहचान लेंगे।
कॉविसील्ड को पहचानने की गाइडलाइन यह है
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का लेबल, एसआईआई का रंग गहरा हरा होगा, साथ ही गहरे रंग की एल्यूमीनियम फ्लिप-ऑफ सील होगी, ब्रैंड का नाम को कोविशील्ड से लिखा होगा। साथ ही CGS Not for sale लिखा होगा।
कोवैक्सिन की पहचान
लेबल पर ना दिखने वाले (अदृश्य) UV होलिक्स होगा, जो कि सिर्फ UV लाइट्स में ही देख सकते हैं,COVAXIN का ‘X’ दो रंगों में होगा। इसे ग्रीन फॉयल इफेक्ट कहते हैं।
स्पूतनिक-वी टीके को ऐसे पहचानें
स्पूतनिक-वी को रूस के दो अलग-अलग प्लांट से आयात किया जा रहा है, इसलिए इसके लेबल अलग-अलग मिलेंगे, साथ ही साथ लेबल पर दी जानकारी और डिजाइन तो एक जैसा होगा, बस प्लांट का नाम अलग-अलग होगा,अबतक जो स्पूतनिक-वी आयात हुई हैं, वे 5 शीशियों वाले गत्ते के पैक में आती हैं। इनके गत्ते पर इंग्लिश में नाम लिखा होता है।