हरियाणा – उत्तर प्रदेश यमुना सीमा विवाद सुलझाने में कहीं प्राकृतिक तो कहीं प्रशासनिक कारण आ रहे आड़े

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 हरियाणा – उत्तर प्रदेश यमुना सीमा विवाद सुलझाने में कहीं प्राकृतिक तो कहीं प्रशासनिक कारण आ रहे आड़े

हरियाणा व उत्तर प्रदेश में यमुना नदी के साथ लगते क्षेत्रों के सीमा विवादों को निपटाने के लिए कहीं प्राकृतिक कारण तो कहीं पर प्रशासनिक कारण रोड़ा बन रहे है। करनाल जिले में यमुना नदी की अत्याधुनिक गहराई के कारण छः पिलर लगाने से लोक निर्माण विभाग ने हाथ खड़े कर दिए हैं।

इसी प्रकार फरीदाबाद में भी यमुना के तेज बहाव के कारण पीडब्ल्यूडी ने 20 पिलर लगाने से साफ इंकार कर दिया है। यमुना हरियाणा-उत्तर प्रदेश दोनों ही प्रदेशों की सीमाओं के बंटवारे का विवाद बन रही है। हरियाणा के छः जिलों में से यमुनानगर ही केवल एक ऐसा जिला है जहां सीमाओं को लेकर कोई विवाद नहीं है।

हरियाणा - उत्तर प्रदेश यमुना सीमा विवाद सुलझाने में कहीं प्राकृतिक तो कहीं प्रशासनिक कारण आ रहे आड़े

हरियाणा व उत्तर प्रदेश के यमुना की सीमा से सटे इलाकों के बीच पिछले पांच दशकों से विवाद चलता आ रहा है। दीक्षित अवॉर्ड के तहत चार दशक पहले दोनों प्रदेशों की सीमाओं पर पिलर लगाए गए थे।कांग्रेस विधायक धर्म सिंह छौक्कर द्वारा विधानसभा के मानसून सत्र में भी यह मामला उठाया था। जिसके जवाब में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि भारतीय सर्वेक्षण विभाग की मदद से सीमा निर्धारण के लिए बाउंड्री पिलर स्थापित किए जाएंगे। हरियाणा व उत्तर प्रदेश दोनों राज्यों द्वारा निशानदेही के लिए सर्वेक्षण विभाग को सहमति पत्र दिए जा चुके हैं।

हरियाणा - उत्तर प्रदेश यमुना सीमा विवाद सुलझाने में कहीं प्राकृतिक तो कहीं प्रशासनिक कारण आ रहे आड़े

उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का कहना है कि दोनों प्रदेशों के बीच यमुना नदी का 312 किलोमीटर लंबा क्षेत्र है, जिसमें दोनों राज्यों के 230 गांव सीमा विवाद में फंसे हुए हैं। हरियाणा के 102 तथा उत्तर प्रदेश के 132 गांव इनमें शामिल हैं, जिनकी पांच हजार एकड़ भूमि पर विवाद है। यमुना नदी की धारा में बदलाव होने पर प्रत्येक वर्ष के झगड़े होना यहां आम बात है।

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इन्हीं झगड़ों को खत्म करने के लिए यहां पिलर लगवाए जायेंगे। पंजाब इंजीनियरिंग कालेज की ओर से 70 फीट लंबे विशेष आकार के पिलर तैयार कराए गए हैं, जिन्हें 50 फीट नीचे धरती में गाड़ा जाएगा तथा 20 फीट ऊपर रखा जाएगा। इससे यमुना नदी के तेज बहाव में इन पिलरों के बहने का खतरा कम रहेगा।

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बता दें कि सबसे अधिक विवाद पलवल, सोनीपत व पानीपत में होता है। फसलों की कटाई के समय तो खींचतान इतनी अधिक बढ़ जाती है कि दोनों ओर से फायरिंग तक हो जाती है। समस्या का ध्यान रखते हुए भारतीय सर्वेक्षण विभाग की निशानदेही के बाद ऑड – ईवन आधार पर पानीपत में 423, सोनीपत में 347 तथा पलवल में 771 बाउंड्री पिलर स्थापित किए जायेंगे। ऑड – ईवन अर्थात् एक पिलर हरियाणा तो एक उत्तर प्रदेश की ओर से लगाया जाएगा।