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हरियाणा के प्राइमरी स्कूलों में बिना पुस्तकों के ही पढ़ाई करने को मजबूर विद्यार्थी, भविष्य को लेकर अभिभावक चिंतित

प्रदेश में कोरोना महामारी का संक्रमण होने के बाद अब कक्षा चौथी तक के स्कूल भी खोल दिए गए हैं। लेकिन बहुत से विद्यार्थी ऐसे हैं जिनके पास पुस्तकें नहीं है, अब ऐसे में वे कैसे पढ़ाई कर सकेंगे। अभिभावकों को अपने बच्चों के भविष्य व परीक्षा परिणाम को लेकर चिंता सताने लगी है। सरकारी स्कूल में अनेकों विद्यार्थी बिना किताबों के ही पढ़ने को मजबूर हो गए हैं।

अधिकारियों द्वारा दावा किया गया है कि विद्यार्थियों को पुरानी किताबें उपलब्ध कराई गई हैं, जबकि विद्यार्थियों के पास पुरानी किताबें भी नहीं हैं। अनेकों ऐसे विद्यार्थी हैं जिनके पास न तो पुरानी पुस्तकें हैं और न ही उन्हें नई पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं।

हरियाणा के प्राइमरी स्कूलों में भी कक्षा चौथी व पांचवीं तक के स्कूल खोल दिए गए हैं। लेकिन जब विद्यार्थियों के पास पर्याप्त मात्रा में पुस्तकें ही नहीं होंगी तो वे कैसे पढ़ाई कर पाएंगे। विद्यार्थियों के पर्याप्त पुस्तकों का न होना केवल विद्यार्थियों के लिए ही नहीं बल्कि शिक्षकों के लिए भी चुनौती बन गया है। सबसे बड़ी चुनौती शिक्षकों के सामने परीक्षा परिणाम सुधरने की है। इस साल कोरोना संक्रमण के चलते करीब पांच महीनों तक प्राइमरी कक्षाओं के विद्यार्थी घरों में रहे हैं।

महामारी के दौरान भले ही ऑनलाइन पढ़ाई जारी रही है लेकिन बहुत से विद्यार्थी ऐसे भी हैं जो मोबाइल फोन व इंटरनेट आदि संसाधनों के अभाव में ऑनलाइन पढ़ाई भी सही प्रकार से नहीं कर पाए। एक सत्य यह भी सामने आया है कि अनेकों प्राइमरी विद्यार्थी पहले के मुकाबले पढ़ाई में काफी कमजोर हो चुके हैं। शिक्षकों को अब उन पर अधिक मेहनत करनी होगी ताकि वार्षिक परिणाम बेहतर हो सकें।

अभिभाव संघ रोहतक के प्रधान यशवंत का कहना है कि सरकारी स्कूलों में अनेकों ऐसे विद्यार्थी हैं जिनके पास नई किताबें नहीं है। अनेकों विद्यार्थियों के पास तो पुरानी किताबें भी पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में उनकी पढ़ाई अधिक प्रभावित हो रही है तथा अभिभावक परीक्षा परिणाम को लेकर भी चिंतित हो रहे हैं। प्रत्येक विद्यार्थी को विभाग द्वारा पुस्तकें उपलब्ध कराई जानी चाहिएं तथा विद्यार्थियों के लिए सरकारी स्कूलों में सुविधाएं भी बढ़ाई जानी चाहिएं।

हरियाणा राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान रामराज का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण विद्यार्थियों की शिक्षा प्रभावित हुई है। लेकिन अब जब चौथी कक्षा तक के लिए भी स्कूल खोल दिए गए हैं, तो विद्यार्थियों के लिए पर्याप्त मात्रा में पुस्तकें मुहैया कराई जानी चाहिएं, अन्यथा शिक्षकों के लिए परीक्षा परिणाम बेहतर बनाना एक बड़ी चुनौती बन सकता है।

वहीं रोहतक जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सुनीता पंवार का कहना है कि इस बार शिक्षा निदेशालय की ओर से पुस्तकें तैयार नहीं कराई गई हैं, बल्कि पुस्तकों की राशि विद्यार्थियों के खातों में भेजी जा रही है। उन्होंने कहा कि नई पस्तुकें न मिलने तक विद्यार्थियों को पुरानी किताबें भी दी गई है। विद्यार्थियों को किताबों से संबंधित कोई भी समस्या नहीं आने दी जाएगी।

Avinash Kumar Singh

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