बीजेपी नेता का आरोप, राज्य में अराजकता पैदा करने के लिए गुरनाम सिंह ने ऐंठा कांग्रेस से “पैसा”

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 बीजेपी नेता का आरोप, राज्य में अराजकता पैदा करने के लिए गुरनाम सिंह ने ऐंठा कांग्रेस से “पैसा”

कृषि कानूनों ने देश भर में एक उल्फत पैदा कर दी हैं। पक्ष हो या विपक्ष हर कोई अन्नदाता के नाम जनता का भगवान बनने में जुटा हुआ हैं। मगर आलम यह है जिस अन्नदाता के बलबूते हम अपने घरों में बैठ भरपूर भोजन का आनंद लें रहे है, उस अन्नदाता को अपनी हक के लिए सड़क पर बैठ धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा हैं, मगर परिणाम स्वरूप कोई भी उनका प्रदर्शन खत्म कराने में अपने कदम आगे नही बढ़ा रहा।

अब नौबत यहां तक आ पहुंची है कि नेता विपक्ष पार्टी पर अराजकता पैदा करने के लिए पैसे देने का आरोप लगाने से भी नही कतरा रही हैं। दरअसल, हरियाणा के करनाल में तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में हो रहे किसान महापंचायत को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता ने बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि गुरनाम सिंह चादुनी, जो भारतीय किसान संघ (बीकेयू) की हरियाणा इकाई के प्रमुख हैं, ने राज्य में अराजकता पैदा करने के लिए विपक्षी कांग्रेस से “पैसा” लिया है।

बीजेपी नेता का आरोप, राज्य में अराजकता पैदा करने के लिए गुरनाम सिंह ने ऐंठा कांग्रेस से "पैसा"

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार में कृषि मंत्री जेपी दलाल ने भी अपनी बात रखते हुए बताया कि “मुझे लगता है कि हरियाणा में लगातार अराजकता पैदा करने के लिए चादुनी ने कांग्रेस पार्टी से जबरन पैसा वसूला है। उन्होंने अपनी बात यहीं खत्म नहीं कि उन्होने तो यह तक कह दिया कि वह इसे तब तक जारी रखेंगे जब तक कि कुछ निर्दोष किसान मर नहीं जाते। हालांकि, राज्य के कुछ किसानों ने महसूस किया है कि ये किसानों के बारे में नहीं सोच रहे, बल्कि राजनीति कर रहे हैं।

प्रमुख किसान नेता और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के सदस्य चादुनी उत्तरी राज्य में कृषि विरोधी कानून के विरोध का चेहरा रहे हैं। एसकेएम पिछले साल नवंबर से किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाली 40 यूनियनों का एक छत्र निकाय है।

बीजेपी नेता का आरोप, राज्य में अराजकता पैदा करने के लिए गुरनाम सिंह ने ऐंठा कांग्रेस से "पैसा"

गौरतलब, याद हो कि जिला प्रशासन द्वारा 28 अगस्त को करनाल में पुलिस लाठीचार्ज से संबंधित किसानों की मांगों को मानने से इनकार करने के बाद महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है। किसानों ने अपनी मांगों को स्वीकार करने के लिए प्रशासन को 6 सितंबर तक का समय दिया था, जिसे विफल होने पर उन्होंने चेतावनी दी थी कि वे आंदोलन करेंगे। महापंचायत और मिनी सचिवालय का घेराव करेंगे। सोमवार को दोनों पक्षों के बीच बिना किसी समझौते के वार्ता समाप्त हो गई।