HomeTrendingखेती करने के सुझाव ने बदली जीवन व मित्रता की पटरी, खीरे...

खेती करने के सुझाव ने बदली जीवन व मित्रता की पटरी, खीरे की खेती कर कमाया लाखों का मुनाफा

Published on

किसान हर साल मेहनत भी करता और पसीने भी बहाता है, मगर बदलें में उसको केवल निराशा ही मिलती हैं। सालों साल बारिश में पानी भरने से फसल डूब जाती है तो किसानों को आर्थिक संकट झेलना मुश्किल पड़ जाता है। ऐसे ही एक ऐसी ही समस्या जब अपने मित्र धर्मवीर संग किसान संजय पूनिया ने साझा किए तो एक सुझाव मिलने से आज उनकी जिंदगी ही बदल गई।

खेत में हर साल बारिश का पानी भरने से उत्पन्न हुई समस्या के बारे में जब धरौदी के किसान संजय पूनिया ने जब अपना यह दर्द नरवाना वासी अपने दोस्त धर्मबीर के सामने सुनाया तो उसने सब्जी की खेती करने का सुझाव दिया। बस फिर तो दोनों ने संजय पूनिया की जमीन पर खीरे की खेती शुरू कर दी।

खेती करने के सुझाव ने बदली जीवन व मित्रता की पटरी, खीरे की खेती कर कमाया लाखों का मुनाफा

इसके बाद खरबूजा, तरबूज व शिमला मिर्च उगाई तो उत्पादन अच्छा होने पर अच्छी आमदनी हुई। उसके बाद से संयज और धर्मबीर दोनों आधुनिक तरीके से बागवानी और नेट हाऊस के जरिए फार्मिंग कर ढाई से तीन लाख रुपए प्रति एकड़ कमा रहे हैं। इतना ही नहीं गांव के ही 15 से 20 लोगों को रोजगार भी दिया है।

खेती करने के सुझाव ने बदली जीवन व मित्रता की पटरी, खीरे की खेती कर कमाया लाखों का मुनाफा

नरवाना निवासी धर्मबीर भ्याण के पास गांव धरौदी निवासी संजय पूनिया का आना-जाना था और दोनों के बीच अच्छी जान-पहचान थी। दरअसल पिछले 20 सालों से धान की खेती करते हुए संजय की खेत की जमीन भी खराब होने लगी थी,

खेती करने के सुझाव ने बदली जीवन व मित्रता की पटरी, खीरे की खेती कर कमाया लाखों का मुनाफा

इससे अच्छी पैदावार नहीं हो रही थी। पारंपरिक खेती से कुछ बचत नहीं होने के कारण करीब चार साल पहले धर्मबीर और संजय ने नेट हाऊस की खेती करने की योजना बनाई। मात्र 10वीं पास दोनों दोस्तों ने शुरुआत एक एकड़ में नेट हाऊस लगाने से की।

खेती करने के सुझाव ने बदली जीवन व मित्रता की पटरी, खीरे की खेती कर कमाया लाखों का मुनाफा

धर्मबीर का कहना है कि गेहूं-धान और कपास की खेती में लागत ज्यादा होती है और मुनाफा कम होता है। लेकिन, नेट हाउस और बागवानी में लागत बहुत कम होती है, जबकि मुनाफा ज्यादा होता है। ड्रिप सिस्टम से पानी की बचत होती है। पिछले चार सालों से बागवानी के कारण उनकी जमीन की हालत अब सुधर रही है। संजय ने कहा कि नेट हाउस में वह खीरा और शिमला मिर्च लगाते हैं तो बाहर खुले में तरबूज और खरबूजा उगाते हैं। जिला बागवानी सलाहकार डॉ. असीम जांगड़ा ने कहा कि धर्मबीर व संजय ने बागवानी में तरक्की कर क्षेत्र में नई पहचान बनाई है और अपनी आमदनी बढ़ाई है।

Latest articles

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती – रेणु भाटिया (हरियाणा महिला आयोग की Chairperson)

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसके लिए मैं कुछ भी...

नृत्य मेरे लिए पूजा के योग्य है: कशीना

एक शिक्षक के रूप में होने और MRIS 14( मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर...

महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस पर रक्तदान कर बनें पुण्य के भागी : भारत अरोड़ा

श्री महारानी वैष्णव देवी मंदिर संस्थान द्वारा महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस के...

More like this

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती – रेणु भाटिया (हरियाणा महिला आयोग की Chairperson)

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसके लिए मैं कुछ भी...

नृत्य मेरे लिए पूजा के योग्य है: कशीना

एक शिक्षक के रूप में होने और MRIS 14( मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर...