दंगल पड़ गया भारी कुश्ती के दौरान पहलवान की टूटी गर्दन, फिर जो हुआ जाकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे

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     दंगल पड़ गया भारी कुश्ती के दौरान पहलवान की टूटी गर्दन, फिर जो हुआ जाकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे

    दंगल यानि कुश्ती के करोड़ों दीवाने हैं हमारे देश में। इसकी प्रतियोगिता भी होती रहती है। फरीदनगर में आयोजित दंगल एक पहलवान के लिए मौत का अखाड़ा बन गया। जोर-आजमाइश के बीच वह प्रतिद्वंद्वी के दांव-पेच में ऐसा फंसा, गर्दन तुड़वा बैठा। इतना ही नहीं, मदद करने के बजाय प्रतिद्वंद्वी पहलवान ने उसकी गर्दन को दो-तीन बार हिलाकर देखा और पीछे हट गया।

    गांव देहात में आज भी दंगल यानि कुश्ती की प्रतियोगिता होती है। लोग ताली बजाते रहे। इस बीच आयोजक और रेफरी मौके पर पहुंच गए। मालिश कर गर्दन जोडऩे की कोशिश की मगर, चोटिल पहलवान की जान नहीं बचाई जा सकी। गांव में पंचायत के बाद 60 हजार रुपये में मौत का सौदा कराकर मामला रफा-दफा करा दिया।

    दंगल पड़ गया भारी कुश्ती के दौरान पहलवान की टूटी गर्दन, फिर जो हुआ जाकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे

    दूर-दराज गांव से दंगल का लुत्फ उठाने के लिए हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं। छह दिन तक पूरा घटनाक्रम राज ही बना रहा लेकिन, वीडियो वायरल होने के बाद दुनिया ने अखाड़े में एक पहलवान की मौत को देखा। दंगल का आयोजन दो सितंबर को हुआ था। ग्रामीणों के मुताबिक, नौमी के मेले में बिना अनुमति के अखाड़ा सजाया गया। इसमें उत्तराखंड के काशीपुर का पहलवान महेश कुमार भी शामिल होने के लिए आए थे। इस दौरान फरीदनगर के पहलवान साजिद अंसारी से महेश का कुश्ती से मुकाबला हुआ।

    दंगल पड़ गया भारी कुश्ती के दौरान पहलवान की टूटी गर्दन, फिर जो हुआ जाकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे

    बिना अनुमति के यह दंगल आयोजित की गई थी। कुश्ती के दौरान साजिद ने महेश की उठाकर पटका तो वह गर्दन के बल नीचे गिर गए। इससे महेश की गर्दन टूट गई। वहीं जमीन पर गिर तड़पने लगे। उधर, कुश्ती देख रहे लोग साजिद पहलवान की जीत के लिए तालियां बजा रहे थे। थोड़ी देर तड़पने के बाद महेश ने अखाड़े में ही दम तोड़ दिया।

    दंगल पड़ गया भारी कुश्ती के दौरान पहलवान की टूटी गर्दन, फिर जो हुआ जाकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे

    कई बार दंगल आफत बन जाता है। दंगल के दौरान मरने वाला पहलवान महेश अपने बूढ़े माता पिता का इकलौता बेटा था। आयोजकों ने जब महेश को उठाया तो उसकी गर्दन एक ओर लटक गई। यह देख सभी के होश उड़ गए। कोई उसे इलाज कराने के लिए अस्पताल तक नहीं लेकर गया। पहलवान की मौत के बाद समझौते के प्रयास शुरू हो गए।