आरटीए टीम ने दावा किया है कि अधिकांश स्कूली बसों में सेनीटाइजर ही नहीं है। फर्स्ट एड बॉक्स में रखी गई दवाएं एक्सपायरी डेट की हैं, सीसीटीवी और जीपीएस एक्टिव नहीं हैं, बसों में अग्निशामक यंत्र भी नहीं पाए गए हैं। बस चालकों द्वारा सिविल सर्जन की ओर से मेडिकल फिटनेस प्रमाण पत्र भी नहीं दिखाए गए। आरटीए टीम ने स्कूल संचालकों को खामियां दूर करने के साथ दोबारा लापरवाही मिलने पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।
चैकिंग के दौरान आरटीए टीम ने दिल्ली रोड़ स्थित प्राइवेट बस को रोककर जांच की। चैकिंग के दौरान बस में रखे फर्स्ट एड बॉक्स में रखी दवाएं व चोट पर लगाने वाले लोशन एक्सपायरी डेट के मिले। चालकों से जब सवाल किए गए तो उन्होंने कहा चूंकि दो सालों के लंबे अंतराल के बाद बसें शहर में निकालना शुरू हुई हैं। इसलिए फर्स्ट एड बॉक्स की ओर ध्यान ही नहीं दिया। लेकिन अब ठीक करवा लेंगे। टीम द्वारा स्कूल संचालक को हिदायत देकर लौटा दिया गया।
टीम ने बताया कि सोनीपत रोड़ से निकल रहीं शहर के प्रतिष्ठित बसों की भी एक सप्ताह में की गई जांच के दौरान पाया गया कि तीन बसों में सीसीटीवी कैमरे व जीपीएस बंद थे तथा तीन बसों में सेनिटाइजर नहीं मिले। इस पर परिचालक ने बताया कि बच्चों से टीचिंग स्टाफ ने बैग में ही सेनिटाइजर रखने के लिए कहा है। उसने बताया कि सीसीटीवी व जीपीएस को फिर से चालू कराने के लिए मैनेजमेंट ने कंपनी के इंजीनियर को बुलाया है, इन्हे जल्द ही ठीक करा लिया जाएगा। टीम ने स्कूल मैनेजमेंट से बात करके जल्दी ही खामियों को दूर करने की हिदायत दी है।
ऑन रोड़ हुई बसों की पॉलिसी के 21 मानकों पर जांच की जाती हैं, जोकि इस प्रकार हैं :
- बसों में सीसीटीवी कैमरा एक आगे तो एक पीछे होना चाहिए तथा कम से कम 15 दिनों की रिकॉर्डिंग क्षमता होनी चाहिए। 2. स्कूली बसों में यदि लड़कियां यात्रा करती हैं तो उन बसों में महिला अटेंटेंड का होना अनिवार्य है। 3. बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बसों में जीपीएस सिस्टम लगा होना अति आवश्यक है। 4. चालक के पास कम से कम 5 सालों का अनुभव होना चाहिए। 5. बस संचालक के पास स्कूल वाहन का स्वीकृति पत्र या परमिट का होना अनिवार्य है तथा बसों की स्पीड शहर में अधिकतम 50 किमी. प्रति घंटा होनी चाहिए। 6. बसों में बच्चों की सुरक्षा के लिए रखा गया स्टाफ, कंडक्टर व महिला अटेंडेंट पूरी तरह से ट्रेंड होने चाहिए तथा बस में एक टीचर इंचार्ज का होना भी जरूरी है।
- 7. बसों में फर्स्ट एड किट के साथ अग्निशामक यंत्र का होना भी अनिवार्य है। 8. बसों में नियुक्त किया गया स्टॉफ अपनी यूनिफार्म में होना चाहिए और उसके पास सिविल सर्जन से मेडिकल फिटनेस का प्रमाण-पत्र उपलब्ध होना चाहिए। 9. स्कूल बसें पीले रंग की होनी चाहिए व उन पर गहरे नीले रंग की पट्टी लगानी अनिवार्य है। 10. स्कूल बसों के आगे सफेद चमकीली पट्टी तथा पीछे लाल रंग की पट्टी होनी आवश्यक है। 11. बसों की स्पीड कंट्रोल करने के लिए स्पीड गर्वनर लगे होने चाहिए। स्कूल बसों पर आगे तथा पीछे ‘स्कूल बस’ अवश्य लिखा होना चाहिए तथा बस यदि किराए पर हैै तो ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए। 12. बस में सभी आवश्यक परमिट, इंश्योरेंस, रजिस्ट्रेशन, प्रमाण पत्र व पॉल्यूशन प्रमाण पत्र आदि दस्तावेज पूरे होने के साथ – साथ बस ड्राइवर अनुभवी व कुशल होना चाहिए। उसके साथ एक परिचालक का होना भी जरूरी है। 13. बसों के टायरों की स्थिति अच्छी होनी चाहिए। 14. बस में ऑटोमेटिक डोर लगा होना चाहिए। 15. आपातकालीन ब्रेक की स्थिति ठीक होनी चाहिए। 16. इंडिकेटर सही ढंग से कार्य करने चाहिए। 17. हेडलाइट व बैक लाइट चालू स्थिति में होनी जरूरी हैं। 18. बस में रिफ्लेक्टर लगे होने चाहिए। 19. रिफलेक्टिव टेप आगे और पीछे नियमों के तहत लगी होनी चाहिए। 20. रूट बोर्ड और समय सारिणी भी लगी होनी चाहिए। 21. पुलिस के नंबर के साथ नियंत्रण कक्ष और स्कूल मालिक का नंबर बसों पर साफ लिखा होना जरूरी है।
रोहतक, आरटीए, डॉक्टर संदीप गोयत ने कहा कि 20 सितंबर से पहली से चौथी कक्षा तक के स्कूल खोल दिए गए हैं। ऐसे में अब बसों की जांच के लिए अभियान चलाया जा रहा है। जांच के दौरान कई बसों में खामियां मिली हैं। स्कूल संचालकों को खामियां दूर करने के लिए हिदायतें दी गईं हैं अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।
ऑल हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के राज्य प्रधान रवींद्र नांदल ने कहा कि पिछले दो सालों से स्कूली बसें खड़े – खड़े खराब होने लग गई हैं। बसों की बैक्ट्रियां, टायर ट्यूब आदि सब खराब हो चुके हैं। स्कूल संचालक पहले से ही काफी परेशान हैं। ऐसे में सरकार से मांग है कि संचालकों से सख्ती के बजाय थोड़ी नरमी बरती जाए, ताकि वे बसों में जल्दी ही सुधार करा सकें।