हरियाणा के किसी भी जिले में आपको गोवंश सड़कों पर विचरण करते नजर आएंगे कहने को तो फरीदाबाद स्मार्ट सिटी है लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही नजर आती है इसी कड़ी में सोनीपत के गोहाना जिला भी कम नही है साल 2018 में यह कैटल फ्री हो चुका है परंतु यदि जमीनी हकीकत को देखा जाए तो कुछ और ही देखने को मिलती है ।
सड़कों पर आवारा पशु विचरण करते नजर आते हैं जिसके कारण रोजाना कई हादसे होते हैं यह पशु आए दिन इन हादसों को न्योता देते हैं सोनीपत जिले में पिछले दो-तीन दिनों में से तीन से चार लोग आवारा पशुओं की वजह से मौत को गले लगा चुके हैं परंतु जिला प्रशासन और गोहाना नगर परिषद आवारा पशुओं पर रोक लगाने में नाकाम हो रहा है
ना ही इनको सुनिश्चित गौशाला या आश्रय स्थान दिया जा रहा है इस कारण सरकार द्वारा किए गए सभी दावे फेल होते हुए नजर आ रहे हैं कुछ समय पहले आवारा पशुओं को पकड़कर उनकी पहचान के लिए टैगिंग की जाती थी यह टैग पशुओं के कानों पर लगाया जाता था लेकिन ज्यादातर पशुओं के कान कटे हुए हैं जिससे अब उनकी पहचान कर पाना मुश्किल हो रहा है
जिला उपायुक्त की ओर से एक आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए ₹900 की फीस ठेकेदार लेता है लोगों का आरोप है कि ऐसे में पशुओं को ठेकेदार नंदी शाला और गौशालाओं के लोग मिलीभगत कर दोबारा सड़कों पर छोड़ देते हैं ताकि उन पशुओं के माध्यम से वह एक अच्छी खासी रकम कमा सकें इस बारे में यदि गंभीरता से सोचा जाए तो गोहाना प्रशासन और गौशालाओं के संचालकों से जवाब तलब किया जा सकता है
वही यदि बात करें faridabad क्षेत्र की तो नगर में आए दिन पशुओं का विचरण आम देखने को मिलता है यह पशु पूरे दिन शहर की सड़कों पर मनमौजी तरीके से घूमते हैं और रात को जहां भी खाली स्थान मिलता है वहां पर एकत्रित होकर बैठ जाते हैं यह पशु सड़क को गंदा करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं फरीदाबाद नगर निगम कितने ही कयास लगाता हो की स्मार्ट सिटी में गोवंश को के लिए कई गौशाला है और नंदी शालाओं का निर्माण किया गया है
लेकिन यदि आप सड़कों पर जाएं तो आपको यह गोवंश आसानी से आपके साथ ही विचरण करते हुए नजर आ जाएंगे इस और प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है मात्र कागजी कार्यवाही के लिए ही इनको आश्रय घर में रखा जाता है अर्थात कुछ समय बाद यह वहां से बाहर आते हैं और फिर सड़कों पर घूमने लगते हैं