22 साल से विधवा का जीवन जी रही थी पत्नी, अचानक पति जोगी का भेष धारण कर आ गया, जाने फिर क्या हुआ

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    हमारे देश भारत में सदियों से ही शादी को बहुत अहमियत दी जाती है। पिछले दो दशक से अधिक से विधवा की तरह रह रही सपना का मन खुशी से फूले नहीं समा रहा था। दिन ही ऐसा था। लापता पति उदय साव को अचानक दरवाजे पर देख खुशी से उसके आंसू थम नहीं रहे थे। करीब 22 साल पहले उदय अचानक सपना और दो बच्‍चों को छोड़़ बिना बताये निकल गया था।

    शादी के बाद एक महिला के लिए उसका पति ही सबकुछ हो जाता है। इंतजार की भी एक सीमा होती है। कुछ वर्षों के इंतजार के बाद मान लिया कि किसी दुर्घटना में मौत हो गई होगी। उसके बाद वह गढ़वा के ही कांडी में बच्‍चों के साथ विधवा की तरह जीवन जी रही थी। याचना और लोगों के सहयोग से किसी तरह जीवन बसर कर रही थी।

    22 साल से विधवा का जीवन जी रही थी पत्नी, अचानक पति जोगी का भेष धारण कर आ गया, जाने फिर क्या हुआ

    महिला के लिए उसका पति ही सबकुछ हो जाता है। ऐसे में यदि वह एक दिन अचानक गायब हो जाए और उसकी कई सालों तक कोई खबर न आए तो पत्नी बुरी तरह टूट जाती है। 22 साल पहले लापता हुआ उदय अपने गुरु गोरख नाथ से दीक्षा लेकर साधु बन गया था। योगी की तरह जीवन यापन कर रहा था। गेरुआ वस्‍त्र और हाथ में सारंगी। इसी सूरत में भिक्षा मांगते हुए अपने घर पहुंचा था।

    22 साल से विधवा का जीवन जी रही थी पत्नी, अचानक पति जोगी का भेष धारण कर आ गया, जाने फिर क्या हुआ

    कांडी के सेमौरा गांव। वह भिक्षा की याचना कर ही रहा था कि नजर पड़ते सपना ने उसे पहचान लिया। रिश्तेदारों ने उदय को बहुत खोजा लेकिन वह नहीं मिला। जब कई सालों तक उसकी कोई खबर नहीं आई तो घरवालों ने उसे मृत मान लिया। उन्हें लगा कि शायद वह किसी दुर्घटना में मर गया होगा। वापस लौटने की याचना करने लगी। गांव के लोग भी जुटे और उसे उदय के रूप में पहचाना।

    22 साल से विधवा का जीवन जी रही थी पत्नी, अचानक पति जोगी का भेष धारण कर आ गया, जाने फिर क्या हुआ

    मगर उदय गृहस्‍थ जीवन में लौटने को तैयार नहीं था। पत्‍नी के हाथों भिक्षा लिये बिना भी जाने को तैयार नहीं। इस घटना के बाद से उदय की बीवी एक विधवा की लाइफ जीने लगी। उसके दोनों बच्चे भी अनाथ हो गए। सभी को यही लगा कि उदय अब इस दुनिया में नहीं रहे। लेकिन फिर बीते रविवार 22 साल बाद अचानक उदय घर वापस आ गया। लेकिन इस बार उसका रूप पूरी तरह बदला हुआ था। वह जोगी का भेष धारण कर सारंगी बजाते हुए अपने घर लौटा।