गुरुग्राम व फरीदाबाद में महामारी बढ़ते देख,हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला

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महामारी के सामुदायिक प्रसार की जांच के लिए पहले सरकार ने चीन से किट आयात की और इनके कसौटी पर खरा नहीं उतरने के बाद गुरुग्राम के मानेसर में स्थित कोरियाई कंपनी से 25 हजार जांच किट खरीदते हुए 75 हजार किटों के लिए और ऑर्डर दे दिया। दोनों देशों की कोरोना जांच किट पहले ही ट्रायल में फेल हो गईं। एक रिपोर्ट के अनुसार इनसे पॉजिटिव मरीजों की जांच की गई तो उनकी रिपोर्ट निगेटिव आईं। बाद में एलाइजा जांच में मरीज पॉजिटिव पाए गए। इसके बाद प्रदेश सरकार ने इन पर रोक लगा दी थी।

गुरुग्राम व फरीदाबाद में महामारी बढ़ते देख,हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला

चीन व कोरिया की कोरोना जांच किट फेल होने के बाद अब हरियाणा सरकार कोरोना जैसी घातक महामारी के सामुदायिक प्रसार की जांच के लिए सभी जिलों में ‘कोविड कवच एलिसा’ नामक टेस्ट के लिए सेरो सर्वे कराएगी ।इसका मतलब किसी खास इलाके में एक साथ कई लोगों के ब्लड सीरम टेस्ट कराएगी। पहले दौर में यह सर्वे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में शामिल गुरुग्राम, फरीदाबाद, हॉट स्पॉट तथा हाई रिस्क एरिया में किया जाएगा। एनसीआर के डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, पुलिस तथा अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स की जांच के लिए प्राथमिकता दी जा सकती है ।

स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि हरियाणा इस तरह की जांच कराने वाले देश के कुछ चुनिंदा राज्यों में शामिल होगा। इस टेस्ट से कोरोना से लड़ने के लिए शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी तैयार होने का पता लगाया जा सकेगा। रक्त की जांच से व्यक्ति का कोरोना के संक्रमित होने या होकर चले जाने की जानकारी भी प्राप्त हो सकेगी ।

जाने सेरी सर्वे के बारे में

सेरो सर्वे में किसी खास इलाके में एक साथ कई लोगों के ब्लड सीरम टेस्ट होते है। इससे ज्ञात होता है कि आखिर संक्रमण किस स्तर पर फैल रहा है। अगर अधिक संख्या में कोरोना संक्रमण है तो इस जांच से पता चल जाएगा। संक्रमित व्यक्ति में एंटीबॉडी विकसित होती है, इसकी भी जानकारी मिल आसानी से प्राप्त हो सकेगी। इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य सामुदायिक संक्रमण का पता लगाना होता है।

सूत्रों के हवाले से, प्रत्येक टेस्ट की जांच का पूरा खर्च सरकार उठाएगी। सर्वे में इस्तेमाल होने वाली टेस्ट किट आइसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वीरोलॉजी पुणे द्वारा विकसित की गई है, जो पूरी तरह स्वदेशी है। देश के 83 हॉट स्पॉट जिलों में करीब 26 हजार 400 से अधिक की जांच की गई जिनके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।