हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने युवाओं को वैश्विक मांग तथा स्थानीय जरूरतों के अनुरूप कौशल प्रदान करने की आवश्यकता पर बल देते हुए आज कहा कि विश्वविद्यालयों को औद्योगिक सहभागिता में कौशल आधारित छोटे-छोटे प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को शुरू करने पर ध्यान देना होगा ताकि युवाओं के लिए रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि ऐसे पाठ्यक्रम ग्रामीण आंचल के युवाओं को ध्यान में रखकर तैयार किये जाये।
हरियाणा राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय आज फरीदाबाद के जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे है। विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति के रूप में श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कुलपति प्रो. दिनेश कुमार की उपस्थिति में विद्यार्थियों को उपाधि, पदक एवं प्रमाण-पत्र प्रदान किये। श्री दत्तात्रेय ने विश्वविद्यालय के कुलगीत का भी विमोचन किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) के अध्यक्ष प्रो. के. के. अग्रवाल विशिष्ट अतिथि रहे तथा दीक्षांत अभिभाषण दिया।
इस अवसर पर कुलाधिपति ने प्रतिष्ठित रक्षा वैज्ञानिक डॉ जी सतीश रेड्डी तथा फरीदाबाद के सफल उद्यमी एवं विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र श्री नवीन सूद को उनकी विशिष्ट उपलब्धियों के लिए सम्मान स्वरूप मानद उपाधियां प्रदान की।
दीक्षांत समारोह के दौरान वर्ष 2021 में उत्तीर्ण कुल पात्र 1210 में से 750 विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों ने हिस्सा लिया, जिन्हें कुलाधिपति द्वारा उपाधियां प्रदान की गई। इनमें 672 स्नातक एवं 494 स्नातकोत्तर छात्र-छात्राएं तथा 44 शोधार्थी शामिल रहे।
दीक्षांत समारोह में लड़कियों की भागीदारी उत्साहजनक रही। स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर सभी पाठ्यक्रमों में उत्तीर्ण 1166 विद्यार्थियों में 604 लड़कियां रहीं। इसी तरह पीएचडी में 44 में से 26 महिला शोधार्थी रहीं तथा 44 स्वर्ण पदक प्राप्तकर्ताओं में 35 छात्राएं रही। दीक्षांत समारोह में लड़कों की तुलना में लड़कियों की अधिक भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए श्री दत्तात्रेय ने ने कहा कि यह अच्छे संकेत है जो साबित करता है कि लड़कियां प्रत्येक क्षेत्र में आगे निकल रही है।
विद्यार्थियों को उद्यमशीलता के लिए प्रोत्साहित करते हुए श्री दत्तात्रेय ने कहा कि देश के उच्चतर शिक्षण संस्थानों से उत्तीर्ण होकर निकलने वाले वाले अधिकतर युवा सरकारी नौकरी की चाह रखते है।
लेकिन सरकार सभी को नौकरी नहीं दे सकती। युवाओं को खुद को कौशलवान बनाना होगा ताकि वे खुद को रोजगार के लिए सक्षम बना सके। उन्हें नौकरी मांगने वाले नहीं, अपितु नौकरी देने वाला बनना होगा।
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि वर्ष 1969 में इंडो-जर्मन परियोजना केे अंतर्गत स्थापित हुए इस संस्थान ने प्रगतिशील भारत की युवा शक्ति को कौशलवान तथा उद्यमशील बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हरियाणा सरकार द्वारा महान वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बोस के नाम पर इस संस्थान का नामकरण एक सराहनीय पहल है। राज्यपाल ने सामाजिक सरोकार के क्षेत्र में विश्वविद्यालय के प्रयासों की भी सराहना की।
युवाओं को कौशलवान बनाने की दिशा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को महत्वपूर्ण कदम बताते हुए श्री दत्तात्रेय ने कहा कि यह नीति बेरोजगारी और गरीबी दूर करने वाली शिक्षा नीति है। इस नीति में औद्योगिक जरूरतों एवं प्रौद्योगिकी पर आधारित शिक्षा पर बल दिया गया है। प्राथमिक स्तर पर व्यवसायिक शिक्षा की व्यवस्था की गई है और मातृ भाषा को महत्व दिया गया है। ऐसा 60 वर्षों में पहली बार हुआ है जब शिक्षा नीति में प्रांतीय भाषाओं में सीखने-सिखाने की पहल की गई है।
इसी के अनुरूप प्रदेश में पीएचडी एवं तकनीकी पाठ्यक्रमों को हिन्दी भाषा में शुरू किया जायेगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार इस नीति को 2025 तक क्रियान्वित करने जा रही है, जिसके लिए मुख्यमंत्री बधाई के पात्र है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को अगले 4-5 साल इस नीति को प्रभावी रूप से लागू करने पर ध्यान देना होगा।
विशिष्ट व्यक्तियों को मानद उपाधि प्रदान करने की परंपरा शुरू करने पर विश्वविद्यालय को बधाई देते हुए प्रो. अग्रवाल ने कहा कि देश की रक्षा प्रौद्योगिकी को ऊंचाईयों तक ले जाने में डॉ. जी सतीश रेड्डी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ऐसे वैज्ञानिक को मानद उपाधि से अलंकृत करना करना विश्वविद्यालय के लिए सम्मान की बात है। इसी तरह उन्होंने मानद उपाधि से सम्मानित प्रतिष्ठित उद्यमी एवं संस्थान के पूर्व छात्र रहे नवीन सूद को भी विद्यार्थियों के लिए आदर्श बताया। उन्होंने कहा कि किसी भी शिक्षण संस्थानों के वह क्षण गौरवपूर्ण होता है, जब उसका कोई छात्र विश्वविद्यालय के किसी समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हो। जे.सी. विश्वविद्यालय के छात्रों ने यह मुकाम हासिल किया है जोकि इस संस्थान की उच्च कोटि की शैक्षणिक गुणवत्ता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों का यह दायित्व है कि वह शिक्षा को नैतिक मूल्यों के साथ लेकर चले। उन्होंने चिंता जताई कि देश में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता मूल्यांकन के लिए जिम्मेदार राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड केवल देश में 20 प्रतिशत शिक्षण संस्थानों को भी मान्यता नहीं दे पाया है जो देश में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
विद्यार्थियों को बहु-कौशलता अपनाने पर बल देते हुए प्रो. अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान दौर में केवल एक कौशल हासिल कर रोजगार की गारंटी नहीं है। युवाओं को बहु-कौशलवान होना होगा। रचनात्मकता और नवाचार पर ध्यान देना होगा और उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाना होगा।
इससे पहले कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने अपने स्वागतीय संबोधन में अतिथियों का अभिनंदन किया तथा वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। कुलपति ने विगत वर्ष की विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए बताया कि विश्वविद्यालय ने गुणवत्ता मानदंडों पर खुद को साबित किया है। इस समय विश्वविद्यालय में 50 से ज्यादा नये पाठ्यक्रम पढ़ाये जा रहे है। विगत वर्षों में विश्वविद्यालय ने नई शोध सुविधाओं तथा ढांचागत व्यवस्थाओं को विकसित किया है तथा रोजगार एवं प्रशिक्षण गतिविधियों को बढ़ावा दिया है। उन्होंने नई शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर भी प्रतिबद्धता जताई।
समारोह के अंत में कुलसचिव डाॅ. सुनील कुमार गर्ग ने धन्यवाद प्रस्तुत किया तथा राष्ट्रगान के साथ दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ।